गठबंधन के बावजूद 2017 चुनाव के बाद से ही ओमप्रकाश राजभर भाजपा पर निशाना साधते रहे हैं। गठबंधन तोड़ने के बाद वह भाजपा के खिलाफ और मुखर रूप से बयानबाजी करते आए हैं। शुक्रवार को भी उन्होंने भाजपा को डूबती हुई नैया तक बता दिया, जिस पर वह सवार होना नहीं चाहते। हालांकि भाजपा अभी हार नहीं मान रही है। सूत्रों की मानें, तो पूर्वांचल के एक बड़े भाजपा नेता के जरिए पार्टी ओपी राजभर से संपर्क करने में जुटी है। यह नेता दिल्ली दरबार के बेहद करीब तो है ही, ओम प्रकाश से भी इनके अच्छे रिश्ते हैं। सूत्रों की मानें तो दोनों में दो दौर की बातचीत भी हो गई है। ओमप्रकाश राजभर को साथ लाने की बड़ी वजह पूर्वांचल में राजभर मतदाताओं की 12 से 22 फीसदी संख्या है। पूर्वांचल के चंदौली, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, देवरिया, अंबेडकरनगर, लालगंज, जौनपुर, मछलीशहर, मिर्जापुर, वाराणसी व भदोही में राजभर समाज की बड़ी आबादी है, जो प्रदेश की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर डाल सकती है। हाल के पंचायत चुनाव में पूर्वांचल में सुभासपा का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। पीएम मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सुभासपा को जीत भी मिली। ऐसे में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व ओपी राजभर को गठबंधन में वापस चाहता है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें केंद्र में राज्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन 2019 में उन्हें कोई पद नहीं दिया गया, जिससे वह नाराज चल रही थीं। हालांकि वह कभी भी भाजपा के खिलाफ हमलावर नहीं दिखी, लेकिन अब 2022 चुनाव नजदीक हैं और भाजपा नहीं चाहती को सहयोगी दलों में कोई मनमुटाव रहे। सूत्रों की मानें, तो अनुप्रिया, हरसिमरत कौर बादल की जगह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकती हैं। यहीं नहीं कहा जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात में उन्होंने यूपी कैबिनेट में भी अपने पति आशीष पटेल, तो जिला पंचायत अध्यक्ष, प्रदेश के निगमों व आयोग में पार्टी नेताओं को शामिल करने की मांग की है।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद अति पिछड़े मल्लाह समुदाय से आते हैं। यह समुदाय भी सूबे की सियासत में काफी अहम माना जाता है। ऐसे में उन्हें भी मनाना भाजपा के लिए जरूरी है। गुरुवार को संजय निषाद ने भी अमित शाह से मुलाकात की। यूपी के सियासी हालात से उन्हें अवगत कराने के अतिरिक्त निषाद ने अपनी मांगे भी रखी है। सूत्रों की मानें, संजय ने 14 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के भाजपा के वादे को याद दिलाया और अब उसने निभाने की मांग की है। शाह ने भी उन्हें इस पर अफसरों से बात करने की बात कही व जल्द ही निर्णय लेने का कहा है। संजय ने गृह मंत्री से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह व भाजपा एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा से भी मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने खुद के यूपी मंत्रिमंडल में समायोजन की बात भी याद दिलाई।