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योगी सरकार का बड़ा फैसला, शिक्षामित्रों की स्कूलों में होगी वापसी

1.37 लाभ शिक्षामित्रों के लिए प्रदेश सरकार ने राहत का फैसला लिया है।

लखनऊJul 19, 2018 / 09:07 am

आकांक्षा सिंह

lucknow

योगी सरकार का बड़ा फैसला, शिक्षामित्रों की स्कूलों में होगी वापसी

लखनऊ. 1.37 लाभ शिक्षामित्रों के लिए प्रदेश सरकार ने राहत का फैसला लिया है। प्रदेश सरकार के इस फैसले से शिक्षामित्रों ने थोड़ी सी चैन की सांस ली है। शिक्षामित्रों को अब अपने मूल स्कूलों में ही नियुक्ति मिलेगी। बता दें कि समायोजन रद्द होने के बाद से शिक्षामित्र अपने मूल तैनाती वाले स्कूलों में वापस जाने की मांग कर रहे थे लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पा रहा था। सोमवार को हुई आश्वासन समिति की बैठक में कई विधायकों ने शिक्षामित्रों की इस मांग को दोहराया तो अपर मुख्य सचिव डॉक्टर प्रभात कुमार ने मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव भेज दिया। मुख्यमंत्री ने इसकी सहमति दे दी।

दिये जाएंगे स्कूलों के विकल्प

प्रदेश सरकार की बेसिक शिक्षा विभाग राज्य मंत्री अनुपमा जायसवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षामित्रों को उसी जिले में अपनी ससुराल या पति की तैनाती वाली जगह पर जाने का विकल्प दिया जाएगा। साथ ही मूल स्कूल या नई तैनाती वाले स्कूल में नियुक्ति का विकल्प दिया जाएगा। यदि मूल तैनाती वाले स्कूल में ज्यादा अध्यापक हैं तो भी तैनाती दी जाएगी। यदि शिक्षामित्र की तैनाती वाले स्कूल में अध्यापक ज्यादा हो रही हैं तो कनिष्ठ अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में किया जाएगा लेकिन शिक्षामित्रों को वहां तैनाती जरूर दी जाएगी।

यह था पूरा मामला

2001 से 2010 तक लगभग 1.67 लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई थी। उनकी मौलिक नियुक्ति उसी ब्लॉक में सबसे पास की स्कूल में की गई थी। 19 जून 2014 और अप्रैल 2015 में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया गया था। सहायक अध्यापक पद पर लगभग 1. 37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन किया गया था। उनकी काउंसलिंग कर नये स्कूलों में तैनाती कर दी गई थी। 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया गया। इसके बाद उन्हें ₹10000 मानदेय पर संविदा पर वापस भेज दिया गया लेकिन तैनाती में बदलाव नहीं किया गया।

शिक्षामित्रों का वेतन

शिक्षामित्रों का तर्क है कि सहायक अध्यापक के रूप में उन्हें ₹35000 मिल रहे थे लेकिन अब केवल ₹10000 मिल रहा है। बता दें कि 26 मई 1999 को जब प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए हर एक विद्यालय में दो शिक्षामित्र रखने का निर्णय लिया गया था। इन शिक्षामित्रों की योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई थी तथा इनकी नियुक्ति का अधिकार ग्राम सभा को था। शिक्षामित्रों की नियुक्ति के समय इनका प्रतिमाह मानदेय 2250 रुपये तय हुआ था जो की वर्ष 2010 तक बढ़ाकर 3500 रुपये प्रति माह कर दिया गया था।

 

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