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लखनऊ

यूपी में लागू होगी स्टेट हेल्थ पॉलिसी, दो महीने में मिल जाएगी कैबिनेट की मंजूरी

उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य को लेकर अपनी अलग नीति लागू करने जा रही है।

लखनऊJan 22, 2018 / 07:11 pm

Laxmi Narayan

state health policy
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य को लेकर अपनी अलग नीति लागू करने जा रही है। प्रदेश के आकार और स्वास्थ्य से जुडी समस्याओं की विविधता को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा स्वास्थ्य नीति का मसौदा तैयार कर रहा है। लखनऊ में सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की बैठक हुई और मसौदे पर चर्चा हुई। बैठक में कई अनुशंसाएं सामने आई हैं जिनके आधार पर मसौदे को अंतिम रूप देकर विभागीय अफसरों के सामने रखा जाएगा। मसौदे को अंतिम रूप देने के बाद उसे कैबिनेट की स्वीकृति मिलेगी। इस पूरी प्रक्रिया में दो से तीन माह का समय लगने का अनुमान है।
बैठक की मुख्य अनुशंसाएं

– क्षमतायुक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-तंत्र के माध्यम से समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के सुदृढ़ीकरण का प्राविधान।
– प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के निरोधात्मक एवं प्रोत्साहात्मक अवयवों पर विशेष ध्यान।
– सुदृढ़ सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र ? तथा नियंत्रित निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के द्वारा द्वितीय एवं तृतीय चिकित्सा सेवा प्रदान करना।
– प्राथमिक कार्य जिनकी आवृत्ति अधिक है तथा जिनका मूल्य तुलनात्मक रूप से कम है, ऐसे कार्यों को सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आरक्षित करना।
– अभिनव तकनीकी जैसे टेलीमेडिसिन एवं ऐप के द्वारा अग्रिम स्तर की चिकित्सा इकाइयों का सुदृढ़ीकरण।
– नवसृजित जनपदों में जिला चिकित्सालय का निर्माण करते हुए आवश्यक अधोसंरचना में सुधार तथा इनकी संख्या में वृद्धि करना। साथ ही जिन जनपदों में शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थान उपलब्ध नहीं हैं, उन जनपदों में ऐसे संस्थाओं की स्थापना।
– प्रत्येक जिला चिकित्सालय से कम से कम एक नर्सिंग स्कूल को सम्बद्ध करना।
– अनिवार्य स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए शक्तिशाली, पूर्ण प्रशिक्षित तथा क्षमतावान आशा, एएनएम और नर्सों के अग्रिम कार्यबल का निर्माण करना।
– नर्सिंग के पाठ्यक्रम में सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों में नर्सिंग के छात्रों का कार्य करने प्राविधान अनिवार्य करना।
– ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने तथा इसका प्रबंधन करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संवर्ग का सृजन करना।
– निरोधात्मक एवं प्रोत्साहात्मक अवयवों पर विशेष ध्यान देते हुए आयुष के उपलब्ध वृहद संवर्ग का उपयोग आउटरीच सेवा, अग्रिम स्वास्थ्य इकाइयों के प्रबंधन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए सदुपयोग करना।
– स्वास्थ्य सेवाओं के प्रत्येक स्तर पर केंद्रीयकृत उपार्जन एवं विकेन्द्रित वितरण प्रणाली के द्वारा अनिवार्य औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
– सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में जेनरिक औषधियों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।
– विश्वसनीय सार्वजनिक मॉडल के द्वारा सेवाओं के रणनीतिक उपार्जन के माध्यम से सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों द्वारा प्रदत्त सेवाओं के मूल्य, गुणवत्ता एवं सेवाओं की कीमत को नियंत्रित करना।
-क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू करना।
– स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से सम्बंधित विभाग जैसे राज्य औषधि नियंत्रक, आयुष, महिला एवं बाल विकास, चिकित्सा शिक्षा के मध्य समन्वय बढ़ाकर सुशासन में सुधार करना।
– सभी आवश्यक तकनीकी इकाइयों को स्थापित करते हुए स्वास्थ्य निदेशालय का सुदृढ़ीकरण करना।
– उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाईज कार्पोरेशन दो अवयवों के माध्यम से क्रियाशील होगा।
– वर्ष 2025 तक सकल राज्य घरेलू उत्पाद में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्राविधान को 2.5 प्रतिशत तक करना।
अलग पॉलिसी लागू करने वाला यूपी होगा दूसरा राज्य

प्रदेश के प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी ने कहा कि यूपी में पहली बार स्वास्थ्य नीति को तैयार किया गया है। इसमें देश के कई संस्थाओं के लोग मंथन के लिए जुटे। उनके सुझाव के आधार पर ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की गई है। इसे उच्च अफसरों के सामने रखा जाएगा और बाद में फाइनल हो जाने के बाद कैबिनेट की अनुमति मिलेगी। त्रिवेदी ने कहा कि नेशनल हेल्थ पॉलिसी पहले से है लेकिन उत्तर प्रदेश को अलग पॉलिसी की जरूरत है। कर्नाटक के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा राज्य है जो अलग से अपनी हेल्थ पॉलिसी लागू करने जा रहा है।
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