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लखनऊ

अब पर्यटकों को यूपी बुलाएंगे सौ साल के उम्र के पेड़, जैव विविधता बोर्ड ढूंढ़ेगा हेरिटेज ट्री

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 100 वर्ष के अधिक उम्र के हेरिटेज ट्री से पर्यटकों को लुभाने की योजना बना रही है। हेरिटेज ट्री घोषित करने का काम उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को सौंपा गया है। हेरिटेज ट्री घोषित होने के बाद उसके आस-पास के क्षेत्र को पर्यटन के लिहाज से विकसित भी किया जाएगा।

लखनऊOct 23, 2020 / 03:56 pm

Karishma Lalwani

अब पर्यटकों को यूपी बुलाएंगे सौ साल के उम्र के पेड़, जैव विविधता बोर्ड ढूंढ़ेगा हेरिटेज ट्री

अब पर्यटकों को यूपी बुलाएंगे सौ साल के उम्र के पेड़, जैव विविधता बोर्ड ढूंढ़ेगा हेरिटेज ट्री

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 100 वर्ष के अधिक उम्र के हेरिटेज ट्री से पर्यटकों को लुभाने की योजना बना रही है। हेरिटेज ट्री घोषित करने का काम उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को सौंपा गया है। हेरिटेज ट्री घोषित होने के बाद उसके आस-पास के क्षेत्र को पर्यटन के लिहाज से विकसित भी किया जाएगा। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। एक कॉफी टेबल बुक भी तैयार हो रही है जिसमें हेरिटेज ट्री संबंधित सभी जानकारियां दी जाएंगी।
हेरिटेज उन वृक्षों को घोषित किया जाएगा जिनकी सदियों से पवित्र वृक्ष के रूप में पूजा की जाती हो। जो पौराणिक घटनाओं, ऐतिहासिक अवसरों, महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों, स्मारकों, धार्मिक परंपराओं व मान्यताओं से जुड़े हों। अब तक 61 जिलों से करीब एक हजार वृक्षों के प्रस्ताव आ चुके हैं। इनका परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। इसमें कई विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
सीतापुर-बाराबंकी के वृक्ष हेरिटेज ट्री

सीतापुर के नैमिषारण्य में बरगद के पेड़ है जिसके बारे में मान्यता है कि यह महर्षि वेद व्यास के समय का है। यहां परिक्रमा पथ पर एक या दो नहीं बल्कि 50 पारिजात के पौधे लगे हैं। परिक्रमा पथ पर पारिजात के अलावा पीपल, बरगद, पाकड़ और मौलश्री के पौधे भी रोपे गए थे। इसी तरह प्रयागराज के झूंसी में गंगा किनारे पारिजात पेड़ है। यह पेड़ करीब दो हजार साल पुराना है। बाराबंकी के किन्तूर गांव स्थित पारिजात वृक्ष भी काफी चर्चित है। किन्तूर गांव के इस पारिजात पेड़ की जांच कई बार वनस्पति विज्ञानियों ने की है। जिन्होंने इसे असाधारण करार दिया है। वनस्पति वैज्ञानिकों के मुताबिक परिजात के इस पेड़ को ‘ऐडानसोनिया डिजिटाटा’ के नाम से जाना जाता है। इसे एक विशेष श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह अपने फल या उसके बीज का उत्पादन नहीं करता है। यही नहीं इसकी शाखा या कलम से एक दूसरा परिजात वृक्ष भी नहीं लगाया जा सकता है। इसके अलावा कई ऐसे वृक्ष हैं जो महाभारत या रामायण काल के समय से प्राचीन हैं।
विशेषज्ञों की टीम कर रही परीक्षण

विशेषज्ञों की टीम जिलों से आए प्रस्तावों का परीक्षण कर रही है। इसके बाद सरकार नोटिफिकेशन कर इन पेड़ों को हेरिटेज घोषित करेगी। साथ ही प्रदेश के करीब 120 प्रमुख हेरिटेज पेड़ों को लेकर कॉफी टेबल बुक तैयार की जाएगी। इसमें प्रमुख शहरों से इन स्थानों तक पहुंचने के लिए रूट चार्ट व जीपीएस लोकेशन भी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड के सचिव पवन कुमार शर्मा ने इस बारे में कहा है कि हेरिटेज पेड़ों की खोज का काम जारी है। विशेषज्ञों की टीम इनका परीक्षण कर रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय भी इस काम में सहयोग कर रहा है। हेरिटेज ट्री घोषित करने के साथ ही उनकी लोककथाएं, धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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