कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से प्रदेश में ब्राह्मणों को लेकर सियासत तेज है। लखनऊ में परशुराम की विशाल मूर्ति लगवाने की बात कहकर सबसे पहले ने समाजवादी पार्टी इसे मुद्दा बनाया।
बसपा प्रमुख मायावती ने एक कदम आगे चलते हुए कहा कि बसपा की सरकार बनने पर वह सपा से भी भव्य परशुराम की मूर्ति लगवाएंगी। उनके नाम पर अस्पताल खोलेगी।
कांग्रेस ने कहा है कि यूपी में ब्राह्मण नेता को वह सीएम उम्मीदवार बनाकर विधान सभा का चुनाव लड़ेगी। सपा-बसपा और कांग्रेस तीनों ने ही परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है।
यूपी सरकार द्वारा गरीब ब्राह्मणों का बीमा इस वर्ग के प्रति केवल कमियों पर पर्दा डालने के लिए है। ब्राह्मण समाज को बीमा से पहले सरकार से अपने मान-सम्मान व पूरी सुरक्षा की गारंटी चाहिए। सरकार इस ओर ध्यान दे तो बेहतर।- मायावती, बसपा प्रमुख
पुराना दांव आजमाने की तैयारी में मायावती, संगठन में अपर कास्ट को बड़ी जिम्मेदारी
सपा बोली जुमला बयान
समाजवादी पार्टी ने भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगवाने के ऐलान के साथ कहा कि ब्राह्मणें को बीमा का एलान भारतीय जुमला पार्टी का नया जुमला है। बसपा का कम्युनिटी सेंटर
मायावती सत्ता में आते ही भव्य परशुराम की मूर्ति लगवाएगी। बड़ी संख्या में आधुनिक अस्पताल औऱ जरूरी सुविधाओं से युक्त कम्यूनिटी सेंटर बनवाएगी।
ब्राह्मणों की गरीब बेटियों की शादी में मदद करेगी सपा, जिलों में परशुराम की मूर्तियां भी लगवाएगी
ब्राह्मण वोट बैंक परआजादी के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश में 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने हैं। हालांकि, 1990 के मंडल आंदोलन के बाद यूपी को कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं मिला। 1991 में जब पहली बार बीजेपी की सरकार बनी, तब बीजेपी ने पिछड़ी जाति के कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया। उसके बाद बीएसपी और सपा ने मिलकर सरकार बनाई। उस समय ब्राह्मणों का महत्व यूपी की राजनीति में थोड़ा कम हुआ। सियासत में यहे सिलसिला वर्ष 2007 तक मायावती के मुख्यमंत्री बनने तक जारी रहा।