किसी भी इलाके में किसी कारणवश जब हिंसा भड़कती है तो उस समय स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस-प्रशासन को धारा 144 लगानी पड़ती है। धारा 144 लगते ही इलाके में पुलिस फोर्स की तैनाती की जाती है। इसके अलावा लोगों को पोस्टर/टीवी के माध्यम से सूचित किया जाता है कि इलाके में धारा 144 लगाई गई है। जिस इलाके में धारा 144 लगाई जाती है वहां एक जगह 5 से अधिक लोगों को इकठ्ठा होने की इजाजत नहीं होती। और यदि आप 5 से अधिक लोगों के बीच पाए जाते हैं या किसी भीड़ का हिस्सा बनते हैं तो फिर पुलिस या वहां मौजूद फोर्स आपसे जवाब तलब कर सकती है। और यदि कोई भीड़ या ग्रुप की वजह से कोई हिंसा भड़कती है तो ऐसे में आरोपी व्यक्ति को तीन साल तक की सजा हो सकती है।
किसी विशेष परिस्थिति में प्रशासन की तरफ से कर्फ्यू लगाने जैसा कठिन निर्णय लिया जाता है। कर्फ्यू लगने के बाद पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दी जाती है और पूरे इलाके में फोर्स तैनात कर दिया जाता है। और इस परिस्थिति में किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती। और यदि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करते हुए बिना अनुमति घर से बाहर निकलते हैं तो उस व्यक्ति को स्थानीय पुलिस जेल भेज सकती है। हालांकि, किसी भी आपात स्थिति में प्रशासन की तरफ से व्यक्ति को छूट दी जाती है।
कर्फ्यू लगाए जाने के बाद इलाके में सभी तरह की सेवाएं बंद कर दी जाती है। सिर्फ अस्पताल को छोड़ कर किराने, सब्जी और दूध की दुकान भी बंद कर दिए जाते हैं।