scriptआखिर कांग्रेस और चंद्रशेखर से क्यों बिदक रही हैं मायावती? | Why BSP Supremo Mayawati avoids Congress and Chandrashekhar | Patrika News
लखनऊ

आखिर कांग्रेस और चंद्रशेखर से क्यों बिदक रही हैं मायावती?

कांग्रेस और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर मायावती के जितना करीब आने की कोशिश कर रहे हैं, बसपा सुप्रीमो उतना ही बिदक रही हैं

लखनऊMar 18, 2019 / 04:07 pm

Hariom Dwivedi

BSP chief held meeting for election gathbandhan

BSP chief held meeting for election gathbandhan

लखनऊ. कांग्रेस और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर मायावती के जितना करीब आने की कोशिश कर रहे हैं, बसपा सुप्रीमो उतना ही बिदक रही हैं। रविवार को लखनऊ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि अमेठी-रायबरेली के बदले पार्टी ने गठबंधन के लिए सात सीटें छोड़ दी हैं, जिनमें मायावती की भी सीट शामिल है। बसपा सुप्रीमो ने तुरंत ही पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। जबर्दस्ती उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए सीटें छोड़ने का भ्रम न फैलायें। इससे पहले भी मायावती ने कांग्रेस को दो टूक कहा था कि देश भर में कहीं भी बसपा-कांग्रेस का गठबंधन नहीं होगा।
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आखिर मायावती चंद्रशेखर और कांग्रेस से क्यों बिदक रही हैं? इस सवाल पर यूपी के राजनीतिक विश्लेषक लगभग एक सा जवाब देते हैं। उनका मानना है कि मौजूदा दौर में मायावती अपने राजनीतिक जीवन के बेहद चुनौती भरे दौर से गुजर रही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा महज 07 सीटों पर ही सिमट गई। पार्टी का वोट प्रतिशत भी लगातार गिरा है। ऐसे में बसपा के लिए यह चुनाव करो या मरो वाली स्थिति जैसा है। यही कारण है कि मायावती ने पुरानी दुश्मनी भुलाकर सपा से गठबंधन किया है।
https://twitter.com/Mayawati/status/1107513718810832896?ref_src=twsrc%5Etfw
प्रियंका की पॉलिटिकल एंट्री के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा है। सूबे में एक बार फिर से कांग्रेस पुनर्जीवित होती दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के उत्थान से सबसे ज्यादा नुकसान बसपा को ही होगा। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जमाने में दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण कांग्रेस के मुख्य वोट बैंक हुआ करते थे। 1980 के दशक में बसपा ने कांग्रेस से उसका दलित जनाधार छीना था। अब कांग्रेस का साथ देकर वह अपने जनाधार को गंवाना नहीं चाहतीं। इसलिए वह सपा के साथ तो हैं लेकिन कांग्रेस से संबंधों को लेकर वह सपा से अलग लाइन पर चल रही हैं।
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कांग्रेस ही नहीं मायावती भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर से भी दूरी बनाती नजर आती हैं। ‘बुआ’ कहने पर मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ऐसे लोगों से मैं कोई संबंध नहीं रखती। मैं केवल आम आदमी, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों से जुड़ी हुई हूं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती अभी देश की सबसे बड़ी दलित नेता मानी जाती हैं, वहीं पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर एक दलित नेता बनकर उभर रहे हैं। ऐसे में मायावती नहीं चाहती हैं कि बसपा के अलावा कोई और संगठन दलितों का हिमायती बनकर उभरे।
अखिलेश के बदले सुर, मायावती की हां में हां मिलाई
अभी तक कांग्रेस के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले अखिलेश यादव ने भी मायावती की हां में हां मिलाई है। मायावती के ट्वीट को ही रिट्वीट करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है। कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कन्फ्यूजन न पैदा करे। गौरतलब है कि इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि यूपी में उनका कांग्रेस से भी गठबंधन है। हमने उनके लिए रायबरेली और अमेठी की दो सीटें छोड़ी हैं।
https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1107553868584546304?ref_src=twsrc%5Etfw

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