इस बार सबसे कम सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी कांग्रेस, नजर जिताऊ कैंडिडेट्स पर
आखिर मायावती चंद्रशेखर और कांग्रेस से क्यों बिदक रही हैं? इस सवाल पर यूपी के राजनीतिक विश्लेषक लगभग एक सा जवाब देते हैं। उनका मानना है कि मौजूदा दौर में मायावती अपने राजनीतिक जीवन के बेहद चुनौती भरे दौर से गुजर रही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा महज 07 सीटों पर ही सिमट गई। पार्टी का वोट प्रतिशत भी लगातार गिरा है। ऐसे में बसपा के लिए यह चुनाव करो या मरो वाली स्थिति जैसा है। यही कारण है कि मायावती ने पुरानी दुश्मनी भुलाकर सपा से गठबंधन किया है।भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर द्वारा ‘बुआ’ कहने पर भड़कीं बसपा सुप्रीमो मायावती
कांग्रेस ही नहीं मायावती भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर से भी दूरी बनाती नजर आती हैं। ‘बुआ’ कहने पर मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ऐसे लोगों से मैं कोई संबंध नहीं रखती। मैं केवल आम आदमी, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों से जुड़ी हुई हूं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती अभी देश की सबसे बड़ी दलित नेता मानी जाती हैं, वहीं पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर एक दलित नेता बनकर उभर रहे हैं। ऐसे में मायावती नहीं चाहती हैं कि बसपा के अलावा कोई और संगठन दलितों का हिमायती बनकर उभरे।अभी तक कांग्रेस के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले अखिलेश यादव ने भी मायावती की हां में हां मिलाई है। मायावती के ट्वीट को ही रिट्वीट करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और रालोद का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है। कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कन्फ्यूजन न पैदा करे। गौरतलब है कि इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि यूपी में उनका कांग्रेस से भी गठबंधन है। हमने उनके लिए रायबरेली और अमेठी की दो सीटें छोड़ी हैं।