अयोध्या की सांस्कृतिक पहचान के लिए यहां राममंदिर के अलावा दुनिया की सबसे ऊंची और भव्य श्रीराम की प्रतिमा लगाने की योजना है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम जारी है। भगवान राम की मूर्ति 251 मीटर की होगी। यह विश्व की सबसे ऊंची मूर्ती होगी। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में राम मूर्ति और अयोध्या के पर्यटन विकास के लिए 447.6 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके पहले राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 200 करोड़ रुपये पहले ही दे दिया था। जिसमें 100 करोड़ का आवंटन किया जा चुका है। मूर्ति के लायक आबोहवा (हवा और वहां मौजूद मिट्टी) का विस्तृत अध्ययन किया जाना है। मूर्ति निर्माण के लिए योगी सरकार ने गुजरात सरकार के साथ एक एमओयू किया है, जो प्रतिमा बनाने में टेक्निकल सपोर्ट देगा। मूर्ति पर गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति से ज्यादा यानी 3000 करोड़ रूपए से ज्यादा का खर्च आएगा।
विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति का गौरव भारत के पास है। गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति 182 मीटर ऊंची है। गुजरात सरकार ने इसे 3,000 करोड़ रुपए की लागत से बनवाया है। मुख्य प्रतिमा बनाने में 1,347 करोड़ रुपये खर्च आया था, वहीं 235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किये गये हैं। वहीं निर्माण के बाद 15 साल तक इसके ढांचे के रख रखाव के लिए 657 करोड़ रुपये खर्च के लिए रखे गए हैं। 83 करोड़ रुपये पुल के निर्माण पर खर्च किये गये। इसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नाम दिया गया है। इसका कुल वजन 1700 टन है। इस मूर्ति का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। राम मर्ति और मुंबई में शिवाजी की मूर्ति के बाद यह तीसरे पायदान पर आ जाएगी।