दरअसल, योगी सरकार की मंशा है कि विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के मकानों के साथ ही निजी बिल्डर्स के ईडब्ल्यूएस मकानों की रजिस्ट्री महज 500 रुपये के स्टाम्प शुल्क पर हो, ताकि जरूरतमंद लोग भी आसानी से अपने सपनों का आशियाना खरीद सकें। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों आवास विभाग ने उत्तर प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों से इस तरह के घरों की सूची मांगी थी, जिसके बाद अब तक लगभग सात हजार घर चिह्नित किए जा चुके हैं। हालांकि अभी तक बरेली के साथ ही लखनऊ, वाराणसी, सोनभद्र, कुशीनगर, कपिलवस्तु और बस्ती में बनाए गए ईडब्ल्यूएस मकानों का आंकड़ा अभी नहीं मिल सका है। आवास विभाग का मानना है कि रजिस्ट्री में सुविधा से जरूरतमंदों को बड़ी राहत मिलेगी।
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यूपी चुनाव के लिए जाति कार्ड खेलना भाजपा को पड़ा उल्टा, मंच से हुआ जोरदार विरोध, वीडियो वायरल 15 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का फायदा उठाते हुए बिल्डर मकानों की कीमत के साथ आवंटन सरकारी मानकों पर करते हैं, लेकिन रजिस्ट्री कराने पर पांच से सात फीसदी का स्टाम्प शुल्क लगता है। इस कारण जरूरतमंद मकान खरीदने में हिचकते हैं। इसी वजह से आवास विभाग ने ईडब्ल्यूएस मकानों की रजिस्ट्री के लिए 500 रुपये स्टाम्प शुल्क का प्रस्ताव रखा है। जैसे ही प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगेगी तो सभी लोग इसका लाभ उठा सकेंगे। हालांकि स्टाम्प शुल्क सीमित होने के कारण विभाग को करीब 15 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।