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सूखे की दहलीज पर खड़ा महोबा, पेयजल समस्या हुई विकराल

पिछले एक दशक से बुंदेलखंड क्षेत्र सूखा, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि जैसी दैवीय आपदाओं का दंश झेल रहा है

महोबाJun 04, 2019 / 04:40 pm

Karishma Lalwani

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सूखे की दहलीज पर खड़ा महोबा, पेयजल समस्या हुई विकराल

महोबा. चुनावी माहौल में बुंदेलखंड का सूखा सबसे प्रमुख मुद्दों में से एक बनकर उभरता है। यहां साल दर साल विकास की बात होती है, मगर हालातों में कोई बदलाव या सुधार नहीं होता। पिछले एक दशक से ये क्षेत्र सूखा, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि जैसी दैवीय आपदाओं का दंश झेल रहा है। बीजेपी की केंद्र सरकार ने बुंदेलियों को लुभाने और चुनावी फायदें के लिए यहां वॉटर ट्रेन तक भेज दी। बुंदेलखंड का हितेषी बनी बीजेपी को विधानसभा चुनाव में सभी सीटें मिल गई मगर यहां की पेयजल समस्या और सूखे की मार से आज तक निजात नहीं मिल पाई। जैतपुर ब्लॉक के थुरट गांव में पानी के लिए लोग खासे परेशान हैं। पानी लेने के लिए 2 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है।
पानी के लिए होती है मारपीट

महोबा की जमीनीं हकीकत यह है कि मई माह से ही पेयजल किल्लत खड़ी हो गई। जिला मुख्यालय में भी पेयजल समस्या बढ़ती जा रही है। ज्यादातर इंडिया मार्का के हैंडपंप ख़राब पड़े हैं। वहीं तालाबों में भी पानी का स्तर गिरता जा रहा है। जैतपुर और कबरई विकासखंड के अधिकतर गांवों में हालात सबसे ज्यादा ख़राब है। कबरई कस्बे और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए हाहाकार मची रहती है। यहां तक कि पानी के लिए लोगों में मारपीट तक की नौबत आ जाती है। यहीं नहीं कई बार तो टैंकर रोककर बीच में ही पानी लूट लिया जाता है।
कबरई क्षेत्र में आलम ये है कि टैंकर आते ही लोग पानी लेने के लिए जान लगा देते हैं। कभी-कभी पानी भरने को लेकर पक्षों में मारपीट भी हो जाती है। ऐसे में टैंकरों के साथ सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस भी लगानी पड़ती है। पीने के पानी की दिक्कत इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी झेलनी पड़ रही है। पोखरों में पानी न होने से जानवर भटकते रहते हैं।
पेयजल व्यवस्था के लिए डीएम ने उठाया ये कदम

सिंचाई और पेयजल समस्या समाधान के लिए बीजेपी सरकार ने अर्जुन सहायक परियोजना शुरू किया। मगर फिर भी पानी की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही। पेयजल समस्या को लेकर डीएम सहदेव ने ग्रामीण क्षेत्रों में टंकी, समरसेविल और पाइपों के माध्यम से पेयजल व्यवस्था कराने की बात कही है।

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