बुन्देलखण्ड की मुफलिसी और गरीबी के कारण यहां के लोगों को दो वक्त पेट भर रोटी मयस्सर नहीं हो पा रही है। साल दर साल भुखमरी के बढ़ते आंकड़ों से चिंतित एक इंसान इन गरीबों के लिए तीन साल पहले मसीहा बनकर सामने आया था। बुन्देलखण्ड में एम्स जैसी मांग करने और लगातार समाज सेवा में अपनी पहचान बना चुके हाजी मुट्टन ने तीन साल पहले अपने ही इलाके में रोटी जमा करने वाला बैंक खोला था। शुरुआत में 30 से 35 घरों से दो-दो रोटी इकट्ठा की गई और देखते ही देखते अब तीन सौ घरों से रोटियां इकट्ठा हो रही है और रोटी बैंक के कार्यकर्ता इन रोटियों को जरूरत मन्दों, यतीमों, भूखों को पहुंचा रहे हैं। 60 से अधिक युवा इस टीम में आज भी काम कर रहे हैं। रोटी बैंक का मकसद है कि कोई इंसान भूखा न सोए। धीरे-धीरे यह रोटी बैंक भारत देश के कई राज्यों में खुलता चला गया और आज यह देश के बाहर अपना परचम लहरा रहा है। इंडोनेशिया के जकार्ता में आज महोबा के रोटी बैंक का शुभारंभ हुआ है। रोटी बैंक के संचालक हाजी मुट्टन बताते हैं कि बैंक का एक दल सलमान के नेतृत्व में जकार्ता पहुंचा है, जिसके माध्यम से 1000 कम्बल, अनाथ बच्चों को कॉपी किताबें और कपड़े पहुंचाए गए हैं।
जकार्ता में रोटी बैंक के शुभारम्भ को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। रूमहा यतीम संघठन और हाजी मुट्टन के सहयोग से महोबा का रोटी बैंक जकार्ता में शुरू हो गया है। अब महोबा का रोटी बैंक जकार्ता में भी भूखों को भरपेट भोजन खिलायेगा। हमेशा भुखमरी, सूखा और आत्महत्या के लिए चर्चित रहने वाले महोबा ने अब रोटी बैंक के जरिये विश्व में अपनी पहचान बना ली है। जकार्ता में रोटी बैंक का संचालन शुरू होने पर महोबा के लोगों में खासी खुशी देखी जा रही है। रोटी बैंक के संचालक हाजी मुट्टन का कहना है कि महोबा के रोटी बैंक की ख्वाहिश है कि देश में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में किसी की मौत भूख से न हो, जिसके लिए रोटी बैंक प्रयासरत है। रोटी बैंक के संचालन में लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।