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महाराजगंज

CM योगी से बंगला लेते शिवपाल यादव को बड़ा नुकसान, सपा छोड़कर आने वाले इन मुस्लिम नेताओं ने बदला फैसला

योगी आदित्यनाथ सरकार के मायावती का बंगला एलॉर्ट करने के बाद शिवपाल यादव पर लग रहा भाजपा की बी टीम होने का आरोप।

महाराजगंजOct 14, 2018 / 02:27 pm

रफतउद्दीन फरीद

Shivpal Singh Yadav and Akhilesh Yadav

शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव

यशोदा श्रीवास्तव

महराजगंज. लगता है शिवपाल सिंह यादव को योगी आदित्यनाथ का दिया बंगला रास नहीं आने वाला है। संकेत कुछ ऐसे ही मिल रहे हैं। शिवपाल यादव पर बीजेपी की बी टीम होने तक का आरोप लग गया है। इस बंगले का असर शिवपाल के पार्टी विस्तार पर भी पड़ता नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी से निराश जिन अल्पसंख्यक नेताओं को शिवपाल के मोर्चे से उम्मीद थी उनके अंदर अब आशंका घर कर रही है। जिस तेजी से इस वर्ग के नेता शिवपाल के साथ जुड़ रहे थे, उस पर ब्रेक लगता दिख रहा है। इस बात की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि क्या शिवपाल की पार्टी भाजपा की बी टीम बनकर रहेगी।
बता दें कि कुछ दिन पूर्व सपा से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने अलग सेक्युलर मोर्चा बना लिया है। शिवपाल के इस मोर्चे से लोगों का जुड़ना भी शुरू हो गया। कहना न होगा कि पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वी यूपी तक शिवपाल के साथ लोग तेजी से जुड़े। इसमें कई ऐसे लोग भी हैं जिनकी मुलायम की घनिष्ठता रही है। इधर अल्पसंख्यक समुदाय के कई नामचीन नेता भी सेक्युलर मोर्चा के साथ जुड़ने का मन बना रहे थे लेकिन दो घटनाएं ऐसी हुई कि अल्पसंख्यक लोगों के कदम ठहर गए। एक तो सीयम योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से शिवपाल को उस भव्य बंग्ले का आवंटन दूसरा हाल ही मुलायम की एक पुत्रवधु अर्पणा का शिवपाल के साथ आना।
अर्पणा मुलायम सिंह यादव के पुत्र प्रतीक की पत्नी हैं जो 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनउ के कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ सपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं अपर्ण भाजपा सरकार का गठन होने के बाद योगी के सीएम बनते ही तेजी से उनके निकट आईं। योगी आदित्यनाथ खुद उनकी गौशाला के निरिक्षण के लिये गए। इसी के साथ इनके भाजपा से निकटता की चर्चा हुई जिसका इनकी ओर से कभी खंडन नहीं आया। अब ये शिवपाल के साथ हैं।
फिलहाल ये दोनों घटनाएं मुमकिन है कि बस वैसे ही हों जिसका भाजपा या योगी से जोड़कर देखा जाना समीचीन न हो, लेकिन उन अल्पसंख्यक नेताओं को अपने कदम पीछे करने को मजबूर कर दिया जो शिवपाल की ओर बढ़ाने को बेताब थे। ऐसे नेताओं में पूर्वांचल के कई नाम हैं लेकिन महराजगंज में शफीक, मुमताज, बदरे आलम जैसे कई अल्पसंख्यक नेता जो कभी कांग्रेस में स्थानीय स्तर पर निर्णायक भूमिका हुआ करते थे, वे मौजूदा वक्त में सपा के साथ हैं, पर अब शिवपाल के साथ जुड़ने की सोच रहे थे। पर अब इन्होंने अपना इरादा बदल दिया है।
शफीक कहते हैं कि अगर हमें बीजेपी की बी टीम के साथ ही रहना है तो सपा क्या बुरी है। आखिर पार्टी का जैसा रूख है, उस हिसाब से सपा भी तो बीजेपी के खिलाफ बहुत मुखर नहीं है। कहा कि समझ से परे हैं कि भाजपा के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश के जुबान खुलते ही नहीं। ऐसे ही अल्पसंख्यक समाज के कई नेता हैं जो शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे में अपना भविष्य निहार रहे थे अब बैकफुट हो गए।
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