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मैनेजमेंट मंत्र

मंजिल पाने के लिए धैर्य के साथ काम करें

आप अपने जीवन में शांति और सद्गुणों के साथ अपना काम पूरा करते रहें। आपको एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।

Sep 08, 2018 / 02:12 pm

अमनप्रीत कौर

patience

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आप अपने जीवन में शांति और सद्गुणों के साथ अपना काम पूरा करते रहें। आपको एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।
आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना है – इसकी तीव्र गति। यह गति ही है जो इंसान को बेचैन और परेशान रखती है। इसका परिणाम होता है- जीवन में विफलता, हताशा, अवसाद और मनोवैज्ञानिक समस्याएं। तो इसका उपाय क्या है? क्योंकि जिस समय में हम जी रहे हैं उसके साथ कदमताल भी जरूरी है। उत्तर है – चलायमान बनो। अपनी दौड़ को न केवल अनुशासित करें, बल्कि उसे नियोजित और सुविचारित करें।
शांति से काम करती रहीं

अमरीका की मशहूर टीवी एंकर ओपरा विन्फ्रे का नाम आपने अवश्य सुना होगा। बचपन की भीषण दुर्घटनाओं से ऊपर उठकर जब उसने अपना कॅरियर टीवी प्रस्तोता के रूप में बनाना चाहा तो न केवल उसे हतोत्साहित किया गया बल्कि उसके रंग, शरीर और आवाज को लेकर भी नकारात्मक टिप्पणी की गई। लेकिन ओपरा निराश नहीं हुई बल्कि सुनियोजित रूप से अपना कार्य शांतिपूर्वक करती रहीं। इससे न केवल उन्हें सफलता मिली, बल्कि अमरीकी इतिहास में सबसे लम्बे चलने वाले शो की होस्ट बनकर उन्होंने 24 वर्ष तक दर्शकों के दिल पर राज किया।
सिर पर न चढ़े सफलता

अगर तात्कालिक सफलता आपके सिर पर चढक़र नहीं बोलती है और आप सफलता के शिखर पर भी शान्त, संयमित, सहज-स्वाभाविक बने रहते हैं, तब ही आप सच्चे अर्थों में सफलता को धारण करने योग्य हैं। सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली बाल सखा थे। दोनों क्रिकेट में समान रूप में असाधारण खिलाड़ी थे और संयोग से दोनों को एक साथ भारतीय टीम में प्रवेश भी मिला जो एक दुर्लभ घटना थी। सचिन ने इस सफलता को न केवल शांति से ग्रहण किया बल्कि अपने समर्पण से गरिमामय बना दिया। उनका व्यवहार भी संयत, गरिमामय और सुलभ बना रहा।
लगातार प्रयास करते रहें

कई प्रतिभाशाली इंसान अपनी अनियंत्रित गति के कारण नेपथ्य में चले जाते हैं और इसके उलट कई बार कम प्रतिभाशाली पर अनुशासित इंसान सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं और वहां लम्बे समय तक काबिज भी रहते हैं। आपने मगरूर खरगोश और अनुशासित कछुए की कहानी तो अवश्य सुनी होगी। इसमें अपनी गति का घमण्ड करने वाला खरगोश अपने आलस्य और गुरूर के कारण दौड़ में हार जाता है और अत्यंत धीमे चलने वाला कछुआ अपने अनथक, सतत् प्रयासों से दौड़ में जीतने में कामयाब हो जाता है। जीवन में चलायमान बनें। आगे बढ़ें, पर सफलता पाने के लिए अपने मूल्यों, सद्गुणों, मानवोचित व्यवहार को न छोड़ें अन्यथा आप अपनी मंजिल को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। अगर सद्गुणों के साथ सफलता की राह पर चलेंगे तो मंजिल को प्राप्त करेंगे।

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