18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दो रूपए रोज की नौकरी करते करते बन गई करोड़ों की मालिकन, पढ़े पूरी कहानी

1961 में महाराष्ट्र के छोटे से गांव रोपरखेड़ा में गरीब दलित परिवार में कल्पना सरोज का जन्म हुआ। उनके पिता पुलिस कांस्टेबल थे। परिवार बड़ा होने के कारण घर का खर्च आसानी से नहीं चल पाता था।

2 min read
Google source verification

image

Sunil Sharma

Aug 21, 2018

Education,Kalpana,career,Management Mantra,career tips in hindi,jobs in hindi,inspirational story in hindi,motivational story in hindi,business tips in hindi,

kalpana saroj, kamani tubes

कमानी ट्यूब्स कंपनी की चेयरपर्सन कल्पना सरोज की कहानी उन लोगों के लिए बहुत प्रेरणादायक है, जो थोड़ी सी ही मुश्किलों के बाद हथियार डाल देते हैं। कल्पना को जन्म से ही अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बाल-विवाह का दंश झेलना पड़ा और उसके बाद ससुराल वालों का अत्याचार सहना पड़ा। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने खुद को खत्म करने के लिए जहर भी पी लिया। लेकिन फिर इन सबसे उबरते हुए मजबूत इरादों के साथ अपनी जिंदगी को एक ऐसा मोड़ दिया कि आज उनकी गिनती सफल एंटरप्रेन्योर्स में होती है।

१९६१ में महाराष्ट्र के छोटे से गांव रोपरखेड़ा में गरीब दलित परिवार में कल्पना का जन्म हुआ। उनके पिता पुलिस कांस्टेबल थे। परिवार बड़ा होने के कारण घर का खर्च आसानी से नहीं चल पाता था। जब कल्पना १२ साल की थी और सातवीं में पढ़ती थी तो उनकी शादी उनसे कहीं अधिक आयु के व्यक्ति से हो गई। शादी के बाद वह मुंबई की स्लम्स में पति के घर आ गई। ससुराल में उन्हें काफी यातनाएं सहनी पड़ी। जब छह महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आए तो कल्पना की हालत देखकर उन्हें वापस गांव लेकर चले गए। गांव आकर उन्हें समाज के लोगों के ताने सहने पड़े। ऐसे में उन्होंने एक बार खुदकुशी का भी प्रयास किया।

इस घटना के बाद उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। वह १६ साल की उम्र में चाचा के पास मुंबई आ गईं। यहां वह गारमेंट फैक्ट्री में काम करने लगी, जिसके उन्हें दो रुपए रोज के मिलते थे। फिर कल्पना ने अपनी जिंदगी से गरीबी को मिटाने का फैसला किया और अपने छोटे से घर में सिलाई मशीनें लगा ली व १६-१६ घंटे काम करने लगी। फिर उन्होंने ५० हजार रुपए का लोन लिया और २२ साल की उम्र में फर्नीचर का बिजनेस शुरू कर दिया।

१९६० में स्थापित कंपनी कमानी ट्यूब्स का मालिकाना हक एक फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने वर्कर्स को दे दिया था, पर कंपनी पर कर्ज बढ़ता जा रहा था। ऐसे में साल २००० में वर्कर्स कल्पना के पास आए। शुरू में तो उन्होंने ११६ करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी के लिए ना-नुकुर की, लेकिन बाद में वह इसे संचालित करने के लिए मान गई। २००६ में कोर्ट ने उन्हें कमानी ट्यूब्स का मालिक बना दिया। आज कंपनी करोड़ों का टर्नओवर करोड़ों का है।