ओपन स्कूल के जरिए 12वीं तक पढऩे वाली प्रीति ने स्पेशल एजुकेशन में डिप्लोमा भी किया है। अब वह शिक्षिका बनकर घर की जिम्मेदारियां उठाने के साथ ही खेल की तैयारी भी कर रही हैं। प्रीति के मेंटर निरंजन साहू बताते हैं कि गरियाबंद जिले के बधिर बच्चों को ट्रेनिंग देने के दौरान प्रीति से मुलाकात हुई। खेल के प्रति उसकी लगन देख उसे खेल में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया।
बचपन में सुने ताने, आज फक्र
प्रीति ने साल 2012 से लेकर 2018 तक लॉन्ग जम्प, गोला फेंक और दौड़ में कई पदक जीते। अब वह फरवरी, 2022 में दुबई में खेलने के लिए तैयारी कर रही हैं। प्रीति कहती हैं कि दृष्टि न होने के कारण बचपन में लोगों के बहुत ताने सुने, लेकिन वह किसी पर बोझ नहीं बनीं, बल्कि आगे बढऩे के लिए खुद को प्रेरित किया।