वितरण व्यवस्था की जांच होनी चाहिए
योजना के शुरू होने के समय दावा किया गया था कि नलों में पानी का प्रेशर इतना रहेगा कि मोटर पंप की जरूरत ही नहीं पडेगी लेकिन दावे हवा हो गये जमीनी तौर पर योजना टांय टांय फिस्स हो गई। पार्षद रीतेश जैन ने कहा कि जनता को पानी नही मिलने के कारण वह परेशान हैं। कई दिनों से जल वितरण व्यवस्था में अवरोध उत्पन्न हो रहा था। फिल्टर प्लांट पहुंचने के बाद पता चला कि पांच मशीनों में से तीन खराब पडी थी। मशीनों की खराबी आना जांच का विषय है जलसंकट के पीछे समन्वय की कमी है व्यवस्था में खामी है वितरण व्यवस्था की जांच होनी चाहिये।समूचे नगर में दोनों समय जलापूर्ति के तमाम दावो और वादों की कलई खुल गई है। पिछले तीन दिनों से नगर के 4 वार्डो की जलापूर्ति ठप्प है। जबकि इसके पहले इन वार्डो में मटमैला पानी पहुंच रहा था।
टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति का भरोसा दिया
तमाम समस्याओं से नाराज नागरिकों ने रविवार की सुबह फिल्टर प्लांट पहुंच नाराजगी जताई। इस दौरान संबंधित वार्ड पार्षद एवं नगर परिषद का अमला मौजूद था। नागरिकों के गुस्से का सामना करते हुये अधिकारियों ने फिल्टर प्लांट की सभी पांच मोटर जलने की बात कह टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति का भरोसा दिया। इस बीच नागरिकों ने मटमैले पानी की सप्लाई पर सवाल कर जल प्रभारी को आड़े हाथों लिया। इस दौरान नगर परिषद उपाध्यक्ष ने मटमैले पानी की सप्लाई को सिरे से खारिज कर नगर में फिल्टर जलापूर्ति होने की दलील दी। लेकिन मौके पर मौजूद नागरिको के साथ जल शोधन कक्ष में उपाध्यक्ष एवं नगर परिषद अमले को जल शोधन हेतु आवश्यक सामग्री नदारद मिली।
जल शोधन केन्द्र में संचालित प्रयोगशाला भी बंद पाई गई
इस दौरान जल शोधन केन्द्र में संचालित प्रयोगशाला भी बंद पाई गई। नगर को शुद्ध पानी देने के दावे की हवा यहां जल शोधन संयंत्र में भी देखने को मिली। जहां पर चारों ओर गंदगी पसरी मिली साथ ही यहां सप्लाई होने वाला पानी भी गंदा मिला। निरीक्षण के दौरान पार्षद रीतेश जैन, पुरूषोत्तम विश्वकर्मा, आशीष वैश्य, शिवानी शर्मा, जानकी बर्मन, उपाध्यक्ष महेश पारासर मौजूद रहे। जिसके बाद सीएमओ शशांक आर्मो भी यहां पहुंचे और उन्हें समक्ष में व्यवस्थायें दिखाई गई।
आश्वासन मूर्तरूप लेता दिखाई नहीं दे रही है
नगर में पानी की समस्या को लेकर लगातार पत्रिका ने आवाज उठाई थी और इस संबंध में सीएमओ शशांक आर्मो ने भी बार बार व्यवस्थायें सुधारने का आष्श्वासन दिया था लेकिन धरातल में आश्वासन मूर्तरूप लेता दिखाई नहीं दे रही है। कुल मिलाकर यह स्पष्ट है कि आम जन की समस्याओं को लेकर नगर परिषद का अमला संजीदा नहीं ह।ै जिस कारण आये दिन इस तरह की स्थिति निर्मित होती है या इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कृत्रिम जलसंकट उत्पन्न किया जा रहा है लेकिन इसके पीछे की मंशा क्या है यह परिषद के जिम्मेदार ही बता सकते हैं। पेयजल के लिये उत्पन्न संकट के पीछे जिम्मेदार नगर परिषद का अमला व जन प्रतिनिधि ही हैं जिन्हें बार बार चेताने के बाद भी समस्या के समाधान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
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