खिलाडिय़ों ने की अनोखी शस्त्र पूजा, देश में परचम लहराने का मांगा आशीष
खेल और खिलाडिय़ों के प्रोत्साहन का प्रस्तुत किया उदाहरण
खिलाडिय़ों ने की अनोखी शस्त्र पूजा, देश में परचम लहराने का मांगा आशीष
खिलाडिय़ों ने की अनोखी शस्त्र पूजा, देश में परचम लहराने का मांगा आशीष
मंडला. जरूरी नहीं कि दशहरे में बंदूक, तमंचे या फिर तीर, तलवारों की ही पूजा की जाए। एक खिलाड़ी के लिए खेल के उपकरण और मैदान कितना महत्व रखते हैं इसका उदाहरण दिखा मंडला के महात्मा गांधी मैदान में खिलाडिय़ों ने अपने अपने खेल उपकरण का दशहरे के अवसर पर खेल मैदान में शस्त्र पूजा की तर्ज पर पूरी श्रद्धा के साथ अपने खेल उपकरण की पूजा अर्चना और आराधना की और मां शक्ति से यह दुआ मांगी कि खेल प्रतिभाएं मंडला जिले से आगे बढ़े और किसी सितारे की भांति देश और दुनिया में चमके।
दशहरे के अवसर पर शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है। शस्त्रों की पूजा पूरी विधि विधान से पुरातन काल से की जाती रही है लेकिन मंडला जिले के खिलाड़ी अपनी अनूठी पूजा के लिए जाने जाते हैं। इनके द्वारा बीते कई सालों से अपने खेल उपकरणों के साथ ही खेल मैदान की पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है और इस आयोजन के मुख्य सूत्रधार होते हैं खेल और खिलाडिय़ों को हमेशा प्रोत्साहित करने वाले शैलेश दुबे। जिन्होंने एक बार फिर महात्मा गांधी स्टेडियम ग्राउंड में पूजन का आयोजन कराया और सभी खिलाडिय़ों और खेल प्रेमियों को आमंत्रित कर क्रिकेट के बल्ले बॉल से लेकर आर्चरी के तीर कमान और हर एक खेल से जुड़े उपकरणों की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की।
खेल भावना का परिचय देकर कि खेल उपकरणों की पूजा:
खिलाडिय़ों ने भी इस आयोजन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। एक खिलाड़ी के लिए उसके खेल उपकरण ही सबसे बड़े आराध्य से कम नहीं। क्योंकि यही वह साधन है, जिसके बलबूते वे न केवल अपना, पालकों के साथ ही जिले और प्रदेश के साथ देश का नाम दुनिया में रोशन करने का जज्बा रखते हैं। शस्त्र पूजन के इस अवसर पर नेशनल बूसू चैंपियन और गोल्ड मेडल प्राप्त पूर्णिमा रजक ने बताया कि इस तरह का आयोजन सिर्फ मंडला में ही होता है और इतनी बड़ी संख्या में खिलाड़ी एक साथ इक_ा होकर पूरी एकता के साथ खेल भावना का परिचय देते हुए अपने खेल उपकरणों की पूजा करते हैं।
जिला खेल प्रतिभाओं से अछूता नहीं है:
आयोजक शैलेश दुबे ने बताया कि मंडला जिला कभी भी खेल प्रतिभाओ से अछूता नहीं रहा और यह जिले का सौभाग्य है कि हमारे यहां से जो खिलाड़ी हुए हैं उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है जो मैदान या खेल उपकरणों के बिना संभव हो ही नहीं सकता। ऐसे हर साल संयुक्त रूप से मिलकर जो पूजा की जाती है, इस माध्यम से हर एक खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी से परिचित होता है और उन्हें मिलकर कुछ नई बातें सीखने और जानने को भी मिलती है, शस्त्र पूजन के दौरान बड़ी संख्या में खेल प्रेमी भी उपस्थित रहे।
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