धीमे परिवहन-भुगतान में अटकी धान खरीदी
अनुमानित लक्ष्य तक भी पहुंचना मुश्किल
Purchase stuck in slow transport payments
मंडला. खरीफ विपणन वर्ष 2017-18 में हो रही धान उपार्जन की अंतिम तिथि को आने में महज एक ही दिन शेष रह गया है। 15 जनवरी की रात को धान उपार्जन के पोर्टल बंद कर दिए जाएंंगे। अनुमानित लक्ष्य से अब भी धान की खरीद लगभग 20 हजार क्विंटल पीछे है। धान उपार्जन में पिछडऩे का मुख्य कारण धीमा परिवहन और बाधित भुगतान बताया जा रहा है। इस वर्ष समर्थन मूल्य को 80 रुपए तक बढ़ाकर 1550 रुपए कर दिया गया। जबकि गत वर्ष उक्त राशि 1470 रुपए थी। ग्रेड ए की धान के लिए यह राशि 1590 रुपए निर्धारित की गई। इसके बावजूद जिले के अनेक किसानों ने शासन को धान विक्रय करने में रुचि नहीं ली। नतीजतन, धान की खरीदी अपने अनुमानित लक्ष्य तक पहुंच जाए, इसमें भी संशय जताया जा रहा है। 13 जनवरी के आंकड़ों के अनुसार, जिले भर में धान की खरीदी लगभग 8 लाख 19 हजार 260 क्ंिवटल ही हो पाई। जबकि इस वर्ष धान उपार्जन का अनुमानित लक्ष्य 10 लाख क्विंटल रखा गया था। अनुमान लगाया जा सकता है कि जिले में इस बार धान उपार्जन में विभागीय अधिकारी कितने अधिक पीछे रह गए हैं? गत वर्ष खरीदी भी 9.62 लाख क्विंटल हुई थी लेकिन सूत्रों के अनुसार, इस बार खरीदी का आंकड़ा ९ लाख क्विंटल तक पहुंचना भी मुश्किल है।
पंजीयन में भी रही छूट
इस बार धान उपार्जन में पंजीयन के लिए भी किसानों से रियायत बरती गई। यदि किसानों को अपनी भूमि के रकबे, बैंक खाते, मोबाइल नंबर में आदि में संशोधन कराना हो तभी उसे अपना पंजीयन नए सिरे से कराना था, अन्यथा वर्ष 2016-17 का पंजीयन ही वैध किया गया था। इसका कारण बताया गया है कि वर्ष 2016-17 के धान उपार्जन के लिए सभी किसानों का नए सिरे से पंजीयन किया गया था। इसलिए इस वर्ष भी वह पंजीयन वैध है। गत वर्ष जिले भर से 23 हजार 69 किसान धान उपार्जन के लिए पंजीकृत हुए थे। वे किसान जो धान उपार्जन में शामिल होना चाहते हैं और गत वर्ष जिन्होंने अपना पंजीयन नहीं कराया था, उन्हें ही शासन द्वारा निर्धारित उपार्जन केंद्रों में अपना पंजीयन कराना था। जिले में 42 केंद्रों में धान उपार्जन वहीं रहे, जिन्हें पिछले वर्ष स्थापित किया गया था। अभी तक 16हजार 740 किसान धान उपार्जन में भागीदार बने। शेष लगभग 6 हजार किसानों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
वर्ष 2016-17 में जिले में धान उपार्जन का अनुमानित लक्ष्य 1 लाख मीट्रिक टन रखा गया था और 96 हजार मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। इस वर्ष १ लाख मीट्रिक टन में लगभग 82 हजार मीट्रिक टन की खरीद हो पाई है।
77 प्रतिशत रहा परिवहन
जहां गत वर्ष खाद्यान्न उपार्जन के दौरान परिवहन का प्रतिशत 80-90 के आंकड़े तक जा पहुंचा था। इस बार 80 प्रतिशत से ऊपर उठ ही नहीं पाया। इसके चलते उपार्जन केंद्रों में अव्यवस्थाएं पसरी रहीं और धान रखने के लिए किसानों को सुरक्षित जगह ही नहीं मिली। जिसके चलते अनेक किसानों ने खुले बाजार में अपनी धान बेच दी। धीमे भुगतान के कारण भी किसानों ने धान उपार्जन से दूरी बनाए रखी। विक्रेता किसानों को १२६ करोड़ रुपए का भुगतान होना था लेकिन ऋण वसूली के बाद यह आंकड़ा 110 करोड़ रह गया। 13 जनवरी की सुबह तक किसानों को 94.82 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
जानकारी एक नजर में
* 11 सितंबर से पंजीयन शुरु
* 11 अक्टूबर पंजीयन का अंतिम दिन
* 15 नवंबर से खरीदी शुरु
* 15 जनवरी तक होगी खरीदी
* 23069 गत वर्ष के पंजीकृत किसान
* 1470 रुपए गत वर्ष का समर्थन मूल्य
* 1550 रुपए इस वर्ष का समर्थन मूल्य
* 42 उपार्जन केंद्र
* 1 लाख मीट्रिक टन- इस वर्ष का अनुमानित लक्ष्य
* 82 हजार मीट्रिक टन- अब तक की खरीद
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