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मंदसौर

500से ज्यादा नामांतरण प्रकरण हो गए लंबित

500से ज्यादा नामांतरण प्रकरण हो गए लंबित

मंदसौरMay 08, 2019 / 03:27 pm

Nilesh Trivedi

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500से ज्यादा नामांतरण प्रकरण हो गए लंबित

मंदसौर.
अध्यक्षविहीन नपा में वैसे तो सभी काम ठप्प से हो गए है, लेकिन नामांतरण तो विधानसभा चुनाव से पहले से नहीं हो पा रहे है। पिछले ७ माह से अधिक समय में नपा में नामांतरण के प्रकरण ५०० से अधिक हो गए है। आवेदन देने के बाद कई महीनों से नामांतरण के लिए शहरवासी यहां चक्कर लगा रहे है, लेकिन एक भी नामांतरण नहीं हुआ है।
यहां पीआईसी की मंजूरी के बिना नामांतरण होता नहीं और लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव की आचार संहिता और फिर अध्यक्ष की हत्या ने नामांतरण के काम को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया है। इसका खामियाजा शहरवासी भुगत रहे है।

ऐसे अटके नामांतरण प्रकरण
अक्टूबर माह में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगी।इसके बाद दिसंबर में सरकार के गठन के बाद नामांतरण की प्रक्रिया ने चाल पकड़ी ही थी कि १७ जनवरी को नपाध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की हत्या हो गई। इसके बाद नपा को कार्यवाहक अध्यक्ष भी नहीं मिला। अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है। ऐसे में पिछले ७ माह से अधिक का समय बीत गया।अब तक नपा में नामांतरण ही नहीं हो पाए और नामांतरण के सभी प्रकरण अधर में ही लटकें हुए है।

आवेदन पर प्रकरण तैयार के आगे कुछ नहीं
वर्तमान में नामांतरण नहीं होने के कारण नपा में आ रहे नामांतरण के आवेदन को शाखा में प्रकरण तैयार कर रखा जा रहा है। इसके अलावा कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है। विज्ञप्ति निकालने से लेकर इसकी अन्य प्रक्रिया आचार संहिता के कारण तो अध्यक्ष के अभाव में पीआईसी की बैठक नहीं होने के कारण नहीं बढ़ पा रही है। इसी कारण वर्तमान में नपा में नामांतरण के ५०० से अधिक प्रकरण लंबित हो गए है।

यहां पीआईसी की मंजूरी के बाद होता है नामांतरण
मंदसौर नपा में नामांतरण के लिए पीआईसी की मंजूरी जरुरी है। नामांतरण प्रकरण पीआईसी में जाने के बाद वहां से मंजूरी के बाद किया जाता है। जबकि अन्य निकायों में नामांतरण करने के लिए अलग से नामांतरण समितियां गठित रहती है। जहां नामांतरण के प्रकरण किए जाते है। वहां पीआईसी की जरुरत नहीं होती है। यहां पीआईसी की मंजूरी के कारण और अब अध्यक्ष नहीं होने तो पहले विधानसभा के बाद लोकसभा की आचार संहिता के कारण नामांतरण नहीं हो रहे है।

परिषद का अधिकार है
नामांतरण का अधिकार परिषद का होता है। इसके लिए अन्य कोई विकल्प नहीं है। -आरपी मिश्रा, सीएमओ

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