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मंदसौर

पतंजलि योगपीठ की 5वीं मंजिल से कूद गई साध्वी, सुसाइट नोट में किया एक शख्स का जिक्र

patanjali yogpeeth- 7 पन्नों के सुसाइड नोट में अपने गुरुदेव और परिवार के सदस्यों को किया प्रणाम…।

मंदसौरOct 04, 2021 / 04:51 pm

Manish Gite

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मंदसौर। उत्तराखंड के हरिद्वार में 24 वर्षीय एक साध्वी ने आत्महत्या कर ली। मंदसौर जिले की रहने वाली साध्वी रामदेव बाबा के पतंजलि योगपीठ के कन्या गुरुकुल में रहकर योग की शिक्षा ले रही थी। 7 पन्नों के सुसाइड नोट में साध्वी ने एक शख्स का जिक्र किया है, साथ ही अपने परिवार समेत आचार्य और गुरुदेव को प्रणाम किया है।

 

मंदसौर जिले की हलौरा तहसील की रहने वाली साध्वी 2018 से ही हरिद्वार के पतंजलि योग पीठ में रहकर शिक्षा ले रही थी। जबकि वैदिक कन्या गुरुकुल की छात्राओं को पढ़ा भी रही थीं। रविवार सुबह 11 बजे वैदिक कन्या गुरुकुल के होस्टल में हड़कंप मच गया, जब साध्वी ने 5वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। साध्वी के गिरते ही तुरंत ही वहां के कर्मचारी उसे उठाकर भूमानंद अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डाक्टरों ने साध्वी को मृत घोषित कर दिया।

 

गुरुकुल में रहने वाली साध्वी ने यह कदम क्यों उठाया, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन पुलिस लंबे-चौड़े सुसाइट नोट के आधार पर कारणों की तलाश में जुट गई है। पुलिस के एक अफसर ने मीडिया को कहा कि हर पहलू की जांच की जा रही है। इधर, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने मीडिया से कहा कि हमें इस मामले में कोई बात नहीं कहनी है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

 

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क्या लिखा सुसाइड नोट में

पुलिस के मुताबिक साध्वी ने 7 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा है। जिसमें आत्महत्या की वजह स्पष्ट नहीं लिखी है। एक पन्ने पर बगैर नाम लिखे किसी व्यक्ति का जिक्र किया गया है। वह शख्स कौन है, इसकी जांच में पुलिस जुट गई है। साध्वी ने एक पन्ने पर गायत्री मंत्र लिखा है। साध्वी ने नोट में लिखा है कि मन की बात किसे कहूं। मैंने कोई गलत कार्य नहीं किया। वहीं एक पन्ने पर गायत्री मंत्र लिखा है,जबकि सातों पन्नों पर ओम लिखा है। साध्वी ने मौत का जिम्मेदार किसी को नहीं ठहराया है। साध्वी ने सुसाइड नोट में खुद को सांसारिक जीवन के लायक खुद को नहीं बताया है। संन्यास में ही मरने की इच्छा भी जताई है। लिखा है कि योग में ही मुक्ति लेना चाहती थीं।

 

इनको किया प्रणाम

साध्वी ने अपने सुसाइड नोट में देवपूर्णा दीदी का जिक्र करते हुए स्वामी, आचार्य, गुरुदेव, माता-पिता से लेकर अपने भाई को भी प्रणाम किाय है।

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