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मानसून ने बिगाड़ी पीएम मोदी की 2019 की प्लानिंग, इन राज्यों में बढ़ सकती है मुश्किलें

मानसून सीजन का डेढ़ महीना खत्म हो चुका है। बावजूद इसके देश के करीब आधा दर्जन राज्यों में बारिश या तो हुर्इ ही नहीं है या फिर बहुत कम हुर्इ है।

Jul 14, 2018 / 11:02 am

Saurabh Sharma

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मानसून ने बिगाड़ी पीएम मोदी की 2019 की प्लानिंग, इन राज्यों में बढ़ सकती है मुश्किलें

नर्इ दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी वर्ष 2019 के चुनावों की प्लानिंग कर चुके हैं। उस पर उन्होंने इंप्लीमेंटेशन भी शुरू कर दिया है। उन्होंने देश के किसानों को राहत देने के लिए खरीफ की एमएसपी डेढ़ गुना करने का एेलान भी कर दिया था। लेकिन पीएम के लिए यह मानसून कुछ आैर सोच कर आया है। क्योंकि मानसून पीएम मोदी की पूरी प्लानिंग पर पानी फेर रहा है। आइए आपको भी बताते हैं कैसे…

नहीं हो रही है बारिश
मानसून सीजन का डेढ़ महीना खत्म हो चुका है। बावजूद इसके देश के करीब आधा दर्जन राज्यों में बारिश या तो हुर्इ ही नहीं है या फिर बहुत कम हुर्इ है। अगर बात पीएम के गृह राज्य गुजरात के सौराष्ट्र इलाके की करें तो वहां पर अब तक 70 फीसदी कम बारिश हुई है। वहीं लोकसभा चुनावों से अपनी कर्मभूमि पीएम मोदी के यूपी में भी 50 फीसदी से कम बारिश हुर्इ है। नितीश के बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा के किसान भी कम बारिश से परेशान है। क्योंकि देश में करीब 80 फीसदी खेती बारिश पर ही आधारित है। बारिश ना होने से खेती करना नामुमकिन है। देश के 6 बड़े राज्यों में से 4 में तो सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

सौराष्ट्र की कुछ एेसी है तस्वीर
गुजरात के सौराष्ट्र में इस सीजन अब तक 70 फीसदी से कम बारिश हुई है। 1 जून से 12 जुलाई तक 38 फीसदी इलाकों में सामान्य बारिश हुई है। जबकि 28 फीसदी इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हुई है। लेकिन 34 फीसदी ऐसे इलाके हैं, जहां इस साल सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। जिसकी वजह से कपास और मूंगफली की खेती में भारी गिरावट देखने को मिली है। कपास, मूंगफली, कैस्टर, अरहर, धान और मक्के के मामले में पूरे हिदुस्तान की खेती में खास दमखम रखने वाले गुजरात की हालत खस्ता है। अगर एक हफ्ते भी बारिश नहीं हुई तो सौराष्ट्र के किसान इस साल खेती से महरूम हो जाएंगे। जो बेहद डराने वाली तस्वीर है।

ये भी हैं सौराष्ट्र के कुछ फैक्ट्स
– कपास की खेती के लिए 3-4 इंच बारिश की जरूरत होती है।
– पिछले वर्ष 10 जुलाई तक गुजरात में 47 लाख 74 हजार हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।
– इस साल 10 जुलाई तक महज 23 लाख 68 हजार हेक्टर में ही बुआई हुर्इ है। यानि करीब 28 फीसदी कम।
– मूंगफली की खेती सबसे ज्यादा 60 फीसदी गिरकर 5.13 लाख हेक्टेयर में ही हो सकी है।
– वहीं कपास की खेती करीब 43 फीसदी गिरकर 12.5 लाख हेक्टेयर के भी नीचे है।
– धान की खेती में करीब 35 फीसदी की गिरावट आई है।

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