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बाजार

शेयर बाजार की निराशा ने निवेशकों को दिया देसी विकल्प

17 साल में पहली बार जुलाई माह में सबसे अधिक लुढ़का घरेलू शेयर बाजार।
विदेशी निवेशकों ने एक माह में निकाले 14 हजार करोड़ रुपये।
इक्विटी की जगह गोल्ड, म्यूचुअल फंड्स साबित हो सकते हैं बेहतर विकल्प।

Aug 01, 2019 / 05:16 pm

Ashutosh Verma

Investment and Share Market

नई दिल्ली। साल 2002 के बाद पहली बार घरेलू शेयर बाजार के लिए जुलाई महीना सबसे खराब रहा है। बीते 17 साल में पहली बार जुलाई माह, इक्विटी मार्केट निवेशकों के लिए भारी निराशा लेकर आया है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स यानी सेंसेक्स में 4.9 फीसदी लुढ़का। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर निफ्टी 50 के लिए यह आंकड़ा 5.7 फीसदी गिरावट को दर्शाता है।

30 जुलाई को कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी गत 6 मार्च 2019 के 10,999 के न्यूनतम स्तर तक को छू गया। हालांकि, बुधवार को अंतिम घंटे में बाजार में अच्छी खरीदारी देखने को मिली, जिसके बाद सेंसेक्स व निफ्टी हरे निशान पर बंद हुए।

31 दिन में डूबे 11 लाख करोड़ रुपये

बीते एक माह में बीएसई का कुल मार्केट कैप ( बाजार पूंजीकरण ) 11.08 लाख करोड़ रुपये घटकर 141 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसके पहले 1 जुलाई को बीएसई का कुल मार्केट कैप 152 लाख करोड़ रुपये था।

जुलाई माह में सेंसेक्स के उच्च्तम स्तर की बात करें तो आम बजट से ठीक एक दिन पहले 4 जुलाई को यह 39,930 के स्तर पर था। वहीं, बीते 30 जुलाई को सेंसेक्स 37,380 के साथ सबसे न्यूनतम स्तर पर कारोबार करते नजर आया। निफ्टी 50 पर नजर डालें तो 1 जुलाई को यह 11,865 के स्तर पर था जो कि 31 जुलाई को 11,118 के स्तर पर बंद हुआ।

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Gold and Real Estate

इन 4 बड़े कारणों से बाजार में आई भारी गिरावट

आमतौर पर जुलाई माह में अच्छा ट्रेड देखने को मिलता है, लेकिन इस साल मॉनसून में देरी, कंपनियों की खराब तिमाही नतीजे, आर्थिक सुस्ती समेत कई कारणों की वजह से निवेशकों में अच्छे सेंटीमेंट नहीं देखने को मिले।

1. विदेशी निवेशकों का मोहभंग: आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धनाढ्यों पर अधिक टैक्स का बोझ लाद दिया, जिसके बाद विदेशी निवेशकों ने घरेलू बाजार से तेजी से पैसे निकालने शुरू कर दिये।

संस्थागत विदेशी निवेशकों ने बीते एक माह में भारतीय बाजार से करीब 14 हजार करोड़ रुपये निकाला है। इसका असर बाजार पर साफ देखने को मिला। इन निवेशकों को थाइलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे बाजारों पर भरोसा दिखाई दे रहा है।

2. पिछले सितंबर माह में आईएलएंडएफएस संकट के सामने आने के बाद से ही घरेलू बाजार में लिक्विडिटी की कमी देखने को मिली। जानकारों का मानना है कि अभी भी एनबीएफसी और बैंकिंग सेक्टर इस संकट से नहीं उबर पाया है।

हालांकि, आरबीआई ने इस साल लगातार तीन बैठकों में ब्याज दरों में कटौती करने के साथ-साथ लिक्विडिटी बढ़ाने का प्रयास किया है, लेकिन इसका असर पर्याप्त तेजी के रूप में नहीं देखने को मिला है।

3. ऑटो सेक्टरः ऑटो सेक्टर बेहद ही खराब दौर से गुजर रहा है। एक तरफ सरकार इलेक्ट्रिवक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी दरों से लेकर तमाम सुविधाएं दे रही है। लेकिन, ऑटो सेक्टर के लिए कुछ खास कदम नहीं उठाया है।

आलम तो इतना बुरा रहा है कि कुछ ऑटो कंपनियों को लगातार कई दिनों तक अपनी फैक्ट्रियों को बंद करने तक का फैसला लेना पड़ा। इस दौरान इन कंपनियों को भारी नुकसान के दौर से गुजरना पड़ा। जुलाई माह में सबसे अधिक गिरावट यदि किसी सेक्टर में देखने को मिली तो वो ऑटो और बैंकिंग सेक्टर रहे।

4. ट्रेड वाॅर: वैश्विक स्तर पर देखें तो अमरीका और चीन के बीच ट्रेड वॉर को लेकर अनिश्चित्ता अभी भी बरकरार है। ट्रेड वॉर का असर अमरीकी बाजार समेत एशियाई बाजार में भी देखने को मिला। लिहाजा, घरेलू बाजार में भी इसका प्रभाव रहा।

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Investment

सोना व रियल एस्टेट फिर बन रहा निवेशकों की पसंद

अब निवेशकों के लिए सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब इक्विट मार्केट में बिकवाली का दौर चल रहा तब उनके लिए निवेश के लिए क्या विकल्प हो सकते हैं? आइए जानते हैं इनके बारे में।

1. सोना और रियल एस्टेट सेक्टर पारंपरिक निवेश के लिए हमेशा से ही बेहतर विकल्प माने जाते रहे हैं। मौजूदा समय में कमोडिटी मार्केट में सोना सबसे बेहतर रिटर्न दे रहा है। केडिय़ा कमोडिटी के अजय केडिय़ा का कहना है कि निकट भविष्य में इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए सबसे बेहतर विकल्प सोना ही है।

वायदा बाजार में भी सोने को लेकर निवेशकों में बेहतर सेंटीमेंट देखने को मिल रहा है। सरकार भी इसमें निवेश को बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है। प्रमुख तौर पर आप तीन तरह से सोने में निवेश कर सकते हैं।

पहला तो यह कि आप फिजिकल गोल्ड खरीदकर निवेश करें। लेकिन, इसमें आपको मेकिंग चार्ज व उसपर जीएसटी का बोझ उठाना पड़ सकता है। वहीं, आपके पास दूसरे विकल्प के तौर पर पेपर गोल्ड में निवेश है।

पेपर गोल्ड की खास बात है कि इसपर आप कम से कम रकम में भी निवेश कर सकते हैं और इसके लिए आपको कोई मेकिंग चार्ज नहीं देना होगा। केंद्र सरकार भी इसको तेजी से बढ़ावा दे रही है। सोने में निवेश को लेकर तीसरे विकल्प की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ भी आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।


2. इक्विटी मार्केट से इतर दूसरा सबसे बेहतर विकल्प प्रॉपर्टी बाजार है। अपने पिछले कार्यकाल में इस सेक्टर के लिए केंद्र सरकार ने कई ऐसे कदम उठाएं हैं, जिसकी वजह से इस सेक्टर में सुधार देखने को मिला है। आप सीधे तौर पर प्रॉपर्टी के माध्यम से इसमें निवेश कर सकते हैं।

कई ऐसे म्यूचुअल फंड्स भी हैं, जिनका पूरा फोकस केवल रियल एस्टेट सेक्टर पर है। ऐसे में यह भी आपको लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। आपको बता दें कि करीब 250 ऐसे सेक्टर हैं, जो प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रियल एस्टेट सेक्टर को प्रभावित करते हैं।


3. निवेश के तौर पर आपके लिए तीसरा विकल्प कमोडिटी मार्केट भी हो सकता है। अजय केड़िया के मुताबिक, लंबी अवधि के लिए सोना के अलावा चांदी भी एक बेहतर विकल्प है। हालांकि, बीते कुछ समय में इसमें कुछ खास तेजी नहीं रही, लेकिन आने वाले दिनों में इसमें तेजी देखने को मिल सकती है।

केड़िया के मुताबिक, फिलहाल चांदी 40-41 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा है। आने वाले दिनों में यह 45,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर जा सकता है। एग्रीकल्चर कामोडिटी भी एक अच्छा विकल्प है।

पहले जून माह के दौरान मॉनसून में देरी और जुलाई माह में अत्यधिक बारिश की वजह से मूंग, कपास और ग्वार में अच्छा कारोबार देखने को मिल सकता है।

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