पहले समझें टर्म एंड कंडीशन
खरीदारी से पहले कैशबैक की टर्म एंड कंडीशन समझना बहुत जरूरी है। आमतौर पर उपभोक्ता अधिक कैशबैक के चक्कर में अपने बजट से बाहर जाकर खरीदारी कर लेता है। इससे लाभ कम और नुकसान अधिक हो जाता है। इससे बचना चाहिए और खरीदारी से पहले कैलकुलेशन कर लेना चाहिए।
कंपनियां कैसे ऑफर करती हैं कैशबैक
कंपनियां कैशबैक देने के लिए बैंक या फाइनेंस कंपनियों से टाई-अप करती हैं। कंपनियां बैंक के साथ मिलकर क्रेडिट कार्ड या वॉलेट से होने वाले सेल में कुछ फीसदी कमीशन देती हैं। बैंक या फाइनेंस कंपनियां अपने कमीशन में से कुछ हिस्सा खरीदारों को कैशबैक या रिवॉर्ड प्वाइंट के तौर पर लौटाती हैं।
क्या होता है कैशबैक
आमतौर पर कंपनियां क्रेडिट कार्ड या वॉलेट से खरीदारी करने पर उपभोक्ता द्वारा खर्च किए गए पैसा का एक तय फीसदी नकद राशि लौटाती हैं। अगर 1000 रुपए मूल्य के समान पर 10त्न कैश-बैक है तो खरीदार को 100 रुपए कैशबैक मिलेंगे।
कंपनियों को कैसे होता है फायदा
कैशबैक लेने के चक्कर में उपभोक्ता बजट से बाहर जाकर खरीदारी करते हैं। इससे कंपनियों की बिक्री बढ़ जाती है। बिक्री बढऩे से कंपनियों का मुनाफा बढ़ जाता है। वह इसमें से कुछ भाग वह खरीददार को पास कर देते हैं।
बैंक की भी कमाई
कैशबैक ऑफर से बैंकों की भी कमाई होती है। बैंक के डेबिट या क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने पर कंपनियां बैंक को एक फिक्स कमीशन देते हैं। जिस कंपनी के साथ बैंक का टाइ-अप होता है।
मिनिमम अकाउंट का गेम
कैशबैक लेने के लिए कंपनियां एक मिनिमम अकाउंट फिक्स करती हैं। कैशबैक लेने के खरीदार को उतनी रकम की कम से कम खरीदारी करनी होती है। यानी, जब खरीदार उस रकम की खरीदारी करता है तो उसे कैशबैक मिलेगा। और अगर नहीं करता है तो इसका फायदा नहीं मिलेगा। अधिक कैश-बैक लेने के चक्कर में लोग अधिक पैसे की खरीदारी करते हैं।