script‘करोड़ों’ के दान में गायों के लिए ‘कौड़ी’ नहीं ! | Donation Not Utilized for Cow | Patrika News
मथुरा

‘करोड़ों’ के दान में गायों के लिए ‘कौड़ी’ नहीं !

-गाय के नाम पर दुकान चलाने वालों को नहीं है गाय से कोई वास्ता
-दाउ के धाम से कान्हा के गांव तक भूख से तड़प तड़प कर मर रहीं गाय
-आस्था के नाम पर ब्रज में हो रही पैसे की बरसात
-मंदिरों में आ रहे अकूत दान के लिए लड़ मर रहे सेवायत

मथुराApr 28, 2019 / 07:31 pm

अमित शर्मा

मथुरा। ब्रज में गाय के नाम पर दान मागने की परंपरा रही है। इसे गोसेवा कहते हैं। ब्रज में आने वाले अधिकांशा श्रद्धालु गोसेवा के नाम पर कुछ न कुछ देकर जाते हैं। इसके बाद भी ब्रज में गाय भूख प्यास से तड़पतड़प कर मर रही है। प्रमुख मंदिरों में रिसीवर तैनात कर दिये गये हैं। बरसाना के लाडली जी मंदिर में सेवा को लेकर झगड़ा बढ़ता जा रहा है। सेवायत पैसे के लिए लड़मर रहे हैं।
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ब्रज में ऐसे मंदिरों की संख्या बहुतायत में है जिन पर महीने में करोड़ों रूपये का दान आता है और अरबों रूपये की संपत्ति मंदिरों से जुड़ी है। इस दान के पीछे श्रद्धालुओं की कान्हा और उसकी गाय से जुड़ा आस्था ही है जो उन्हें यहां खींच कर लाती है। इसके बावजूद इन अरबों के दान में से कान्हा की गायों के लिए फूटी कौड़ी नहीं दी जा रही। बेसहारा पशुओं ने फसलों को उजाड़ा तो सात माह पहले अक्टूबर में किसानों ने हंगामा किया था। तब शासन के निर्देश पर अस्थायी गोशालाएं खोली गई थीं। इधर, गायों के मरने का सिलसिला जारी है।
ग्रामीणों का आरोप है कि करीब तीन महीने पहले प्रशासन के आदेश पर अस्थायी गोशाला में गाय रखी थीं। इनके आहार की नगर पंचायत और ग्राम पंचायत स्तर पर व्यवस्थाएं नहीं की गई। इसलिए गोवंश दम तोड़ रहा है। गोकुल में तीन माह में करीब 36 गायों की मौत हो गई। मरने वाली गायों दफन कर दिया जाता है। संख्या पूर्ति करने को बेसहारा गायों को पकड़ कर गोशाला के अंदर कर दिया जाता है।
यमुना पर मुखर होने वाले गाय पर मौन

यमुना प्रदूषण पर मुखर होकर आंदोलन करने वाले समाज सेवी और भक्त गाय के नाम पर मौन साध गये हैं। यमुना बचाओ आंदोलन से जुडे रहे लोगों का ही मानना है कि यमुना के पर मोटा चंदा मिलता है लेकिन खर्च कोडी का नहीं है। जबकि गाय के लिए आगे आएंगे तो खर्च करना पडेगा।
गाय के नाम पर दान मांगने की रही है ब्रज में परंपरा

ब्रज में परंपरा रही है कि जो लोग मठ मंदिरों से जुडे हैं वह श्रद्धालुओं से गाय की सेवा के नाम पर दान मांगते हैं। श्रद्धालु गाय की सेवा के लिए दान देते भी हैं लेकिन इस दान में गाय तक कुछ पहुंचता नहीं है। कई ऐसी संस्थाएं भी काम कर रही हैं जो बाकायदा विदेषों से भी गाय और गोषाला के नाम पर चंदा प्राप्त करती हैं।

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