बता दें कि मथुरा-वृंदावन में बंदरों की समस्या दिनोंदिन गंभीर रूप लेती जा रही है। यहां के लोगों से लेकर आने वाले श्रद्धालु तक बंदरों के निशाने पर रहते हैं। बंदर उनका चश्मा, पर्स, प्रसाद, महंगे मोबाइल आदि छीन लेते हैं, साथ ही हमला करके घायल भी कर देते हैं। बंदरों के हमले से कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है। हालांकि बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने की बात यहां समय समय पर तमाम प्रतिनिधि करते रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। इस बार जब मथुरा सांसद ने इस मसले को संसद में उठाया, तब लोगों के मन में उम्मीद जागी। मथुरा के स्थानीय लोग सांसद के इस प्रयास की सराहना कर रहे हैं।
मालूम हो कि 2019 की वन जंतु गणना की रिपोर्ट के अनुसार वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल आदि क्षेत्रों में कुल 21,707 बंदर हैं। ये बंदर यहां आने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को परेशान करते हैं। उनका सामान छीन लेते हैं, हमला कर देते हैं। वृंदावन के अस्पताल में बंदरों के काटने से घायल लोगों की संख्या करीब 50-55 तक पहुंच जाती है। इन्हें एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए जाते हैं। फिलहाल इन 21 हजार बंदरों में से दो हजार बंदरों को पकड़कर सुरक्षित बाह आगरा में सुरक्षित स्थान पर छोड़ने की स्वीकृति नगर निगम को दी गई है। वहीं आने वाले समय में बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के मामले में मथुरा को देश में मॉडल बनाने की योजना है।