सहसचिव चिराग जैन ने बताया कि कवि सम्मेलन के इतिहास को 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। कवियों के बारे में कहा जाता है कि कवि पागल होते हैं, फ़क़ीर होते हैं मनमौजी होते हैं। इन्हीं मनमौजी और कला को इकट्ठा करने का प्रयास यह अधिवेशन है। कवि गोपाल दास नीरज के प्रयासों से इस मंच की शुरुआत हुई थी। आज हम सभी इसी के माध्यम से एक सार्थक प्रयास कर रहे है और इस कला को जीवंत रखने और उचाईयों तक पहुँचाने वाले पांच कवियों को सम्मानित करेंगे।
ये रहे मौजूद
मथुरा की रहने वाली और श्रृंगार रस से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मथुरा का नाम रोशन करने वाली कवियत्री पूनम ने इसे अपने लिए बड़ा सौभाग्य बताया कि आज इस नगरी में इस तरह का कार्यक्रम हो रहा है। वार्ता में समिति के सचिव रमेश मुस्कान और डॉ. अनुज त्यागी उपस्थित थे।