एनजीटी कोर्ट ने अधिकारियों को लगाई फटकार
गौरतलब है कि एनजीटी कोर्ट में विचाराधीन याचिका संख्या 2229/2013 गिरिराज संरक्षण संस्थान बनाम पर्यावरण विभाग व अन्य पर परिक्रमा मार्ग में पक्का निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। इसके बाद एनजीटी कोर्ट ने 4 अगस्त 2015 को 17 बिन्दुओं के अनुपालन के आदेश प्रशासन को दिये थे। जिसमें यूपी की सीमा में इन दिशा-निर्देशों के अनुपालन में सैकड़ों पक्के मकानों का ध्वस्तीकरण कर चुके हैं, लेकिन गिरिराज जी की परिक्रमा का करीब दो किलोमीटर विभाग हिस्सा राजस्थान सीमा में आता है। राजस्थान सरकार की करोड़ों रुपए की ब्रज विकास की योजना में परिक्रमा मार्ग में गिरिराज जी के बिल्कुल किनारे पक्के स्वागत द्वार गहरे-गहरे गड्ढे खोदकर बनाए जाने लगे। गड्ढों को खोदते समय करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक गोवर्धन पर्वत की शिलाओं को जेसीबी से क्षतिग्रस्त भी किया जाने लगा। इसके बाद समाजसेवी व साधु-संत लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया लेकिन भरतपुर प्रशासन व सार्वजनिक निर्माण विभाग पर कोई असर नहीं हुआ। जब इसकी जानकारी नेशनल कमेटी ऑफ कृष्णा सर्किट के चेयरमैन सत्यप्रकाश मंगल को हुई तो उन्होंने एनजीटी में याचिका दाखिल की। जिस पर एनजीटी कोर्ट ने तुरंत ही आदेश किये कि इसे रोका जाये।
भरतपुर डीएम व अधिकारियों को किया तलब
राजस्थान के पूंछरी में गिरिराज के किनारे जेसीबी चलाने व पक्का निर्माण करने पर एनजीटी कोर्ट ने डीएम सहित विभागीय अधिकारियों को तलब किया है। एनजीटी कोर्ट के जज राठौर की अध्यक्षता में सुनवाई हुई तो राजस्थान सरकार की प्रस्तावित विकास योजना पर भी सवालिया निशान लगाते हुए पूरे विकास की योजना के लिए 23 मार्च 2018 को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। याचिकाकर्ता सत्यप्रकाश मंगल ने बताया कि 22 मार्च गुरुवार को एनजीटी के आदेशों के अनुपालन में राजस्थान के पूंछरी परिक्रमा मार्ग गिरिराज जी के किनारे सुप्रीम कोर्ट के वकील एमसी महेता के निर्देशन टीम जांच करने पहुंचेगी।
राजस्थान के पूंछरी में गिरिराज के किनारे जेसीबी चलाने व पक्का निर्माण करने पर एनजीटी कोर्ट ने डीएम सहित विभागीय अधिकारियों को तलब किया है। एनजीटी कोर्ट के जज राठौर की अध्यक्षता में सुनवाई हुई तो राजस्थान सरकार की प्रस्तावित विकास योजना पर भी सवालिया निशान लगाते हुए पूरे विकास की योजना के लिए 23 मार्च 2018 को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है। याचिकाकर्ता सत्यप्रकाश मंगल ने बताया कि 22 मार्च गुरुवार को एनजीटी के आदेशों के अनुपालन में राजस्थान के पूंछरी परिक्रमा मार्ग गिरिराज जी के किनारे सुप्रीम कोर्ट के वकील एमसी महेता के निर्देशन टीम जांच करने पहुंचेगी।
क्या कहते हैं परियोजना अधिकारी
ब्रज चौरासी कोस में विकास की परियोजना को देख रहे आशाराम सैनी ने बताया कि सरकार के आदेश पर ही गिरिराज जी के किनारे काम कराया जा रहा था लेकिन अब एनजीटी के आदेश पर अब काम रोक दिया गया है। हमारा काम सरकार के आदेश का पालन करने का है। उधर, याचिकाकर्ता सत्यप्रकाश मंगल का कहना है कि जब एनजीटी ने आदेश दिये हैं तो राजस्थान सरकार को गिरिराज जी के पुरातन स्वरूप के साथ छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है। जिन भगवान को हम पूजते हैं उन्हीं पर लोगों की धार्मिक भावनाओं से छेड़छाड़ करते हुए जेसीबी चलाई जा रही है। कच्चे मिट्टी रज के परिक्रमा मार्ग को बिगाड़ा जा रहा है। ये गलत है और एनजीटी ने भी कार्यवाही कर दी है।