यूं तो कृष्ण की नगरी मथुरा भगवान कृष्ण की लीलाओं के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भगवान ने भी यहां की कारागार में जन्म लिया था। उसी मथुरा की जेल अब चर्चा में बनी हुई है। वजह है यहां का फांसी घर। मथुरा की जिला जेल प्रदेश की एकमात्र ऐसी जेल है जिसमें महिलाओं को फांसी देने की व्यवस्था है। अमरोहा के बहुचर्चित बावनखेड़ी हत्याकांड की आरोपी शबनम की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। ऐसे में फांसी की संभावनाओं को देखते हुए मथुरा जेल एक बार फिर चर्चा में आ गई है। प्यार में अंधी हुई अपराधी शबनम की आंखें हमेशा के लिए बंद होने का समय धीरे-धीरे नजदीक आ रहा है। शबनम के गुनाह की सजा जल्द ही उसको मिलने वाली है। उसके लिए अब सभी कानूनी रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं। रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद यह लगभग तय हो गया है कि अपने परिवार के सात लोगों की कातिल शबनम को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। वह आजादी के बाद फांसी पर लटकने वाली देश की पहली महिला होगी। अमरोहा के बावनखेड़ी में अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर शबनम ने अपने परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से काट डाला था। इस मामले में दोनों को फांसी की सजा हुई थी, अब शबनम की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। उसे प्रदेश की मथुरा जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा, प्रदेश में केवल मथुरा जेल में ही महिला को फांसी दिए जाने की व्यवस्था है।
आज तक नहीं दी गयी कोई फांसी सेशन कोर्ट से डेथ वारंट मिलने के बाद ही उसे प्रक्रिया के तहत मथुरा जेल भेजा जाएगा। दरअसल अंग्रेजों के बनाए जेल एक्ट 1894 में सूबे में केवल मथुरा जेल को ही महिला कैदियों को फांसी देने के लिए नामित किया गया था हालांकि जेल के पीछे बने फांसी घर में आज तक किसी को फांसी नहीं दी जा सकी है।
बताया जाता है कि फांसी घर की हालत भी अब जीर्णशीर्ण हो गई है। शबनम प्रकरण फिर से सामने आने के बाद अब जेल प्रशासन फिर से सक्रिय हो गया है। जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि ये अंग्रेजों के बनाए जेल एक्ट में था। उसे ही प्रदेश के जेल मैनुअल में शामिल किया गया। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद आज तक यहां किसी को फांसी देने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। देश में अब तक किसी भी महिला को फांसी नहीं दी गई। अगर उसकी फांसी की सजा बरकरार रही तो शबनम पहली महिला होगी।