नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी उर्दू में वह बताती हैं कि वे नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ भी उर्दू में ही करती हैं। उनके पास उर्दू में लिखी दुर्गासप्तशती भी है। 92 वर्षीय कृष्णा का कहना है कि उनकी शिक्षा दीक्षा सब कुछ पाकिस्तान में हुई। उस दौर में प्राइमरी स्कूलों में उर्दू ही पढ़ाई जाती थी। इसलिए वे उर्दू में ही सब कुछ पढ़ती हैं और लिखती हैं। वे उर्दू में ही दुर्गा की आरती और संस्कृत के श्लोक लिखती और बोलती हैं।
नाना को उर्दू की गीता कलम से लिखने में लगे थे चार महीने कृष्णा बताती हैं कि उनके नाना को स्याही की सरकंडे की कलम से उर्दू में गीता लिखने में चार महीने का समय लगा था। इसके लिए उनके नाना ने एक व्यक्ति को दो आना महीने पर नौकरी पर रखा था, जो हिंदी की गीता को पढ़ता था और कृष्णा के नाना उसको उर्दू में लिखते थे। चार महीने में जब नाना ने उर्दू में गीता को लिख लिया तो वे बहुत खुश हुए थे। इसके बाद वे प्रतिदिन अपने हाथ से लिखी उर्दू की गीता का पाठ किया करते थे।
नाना के हाथ की लिखी गीता को कृष्णा ने छपवाया बुजूर्ग कृष्णा कहती हैं कि नाना के हाथ की लिखी गीता के कागज जब बेकार होने शुरू हुए तो उन्होंने उस गीता के कागजों का ब्लाक बनवाया और उसे छपवा लिया। इस गीता को भी करीब 80 साल हो गए हैं। जो आज भी उनके पास विरासत के रूप में मौजूद हैं।