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मेरठ

Aja Ekadashi Puja Vrat 2018 : भगवान विष्णु की एेसे करें पूजा तो जीवन में सभी सुखों की होगी प्राप्ति, नहीं रहेगा कोर्इ अभाव

Aja Ekadashi Puja Vrat 2018 : छह सितंबर गुरूवार को अजा एकादशी है। आइए हम आपको बताते हैं इसकी महिमा और इसके व्रत की विधि के साथ ही इसके चमत्कार।

मेरठSep 06, 2018 / 02:31 pm

sanjay sharma

meerut

Aja Ekadashi 2018: भगवान विष्णु की एेसे करें पूजा तो जीवन में सभी सुखों की होगी प्राप्ति

मेरठ। अजा एकादशी का व्रत करने से हरिश्चंद्र महाराज को अपना खोया हुआ राज भी वापस मिल गया था। Aja Ekadashi के चमत्कार जानकर आप हो जाएंगे हैरान। छह सितंबर गुरूवार को अजा एकादशी है। आइए हम आपको बताते हैं इसकी महिमा और इसके व्रत की विधि के साथ ही इसके चमत्कार। पंडित कैलाश नाथ द्विवेदी के अनुसार जिस अजा एकादशी के व्रत से राजा हरिश्चन्द्र के पूर्व जन्म के पाप कट गए और खोया हुए राज्य हुआ पुनः प्राप्त हुआ। वह अजा एकादशी व्रत इस वर्ष छह सितम्बर की है। जो व्यक्ति इस व्रत को रखना चाहते हैं। उन्हें दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए, ताकि व्रत के दौरान मन शुद्ध रहे। पांच सितंबर को 15.01 बजे से एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी अैर छह सितंबर को 12.15 को समाप्त होगी। पारण का समय सात सितंबर को 6.06 बजे से 8.35 बजे तक रहेगा।
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Aja Ekadashi के दिन करें ये

एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय के समय स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाकर, फलों तथा फूलों से भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। Lord Vishnu की पूजा के बाद विष्णु सहस्रनाम अथवा गीता का पाठ करना चाहिए। व्रत के लिए दिन में निराहार एवं निर्जल रहने का विधान है। लेकिन शास्त्र यह भी कहता है कि बीमार और बच्चे फलाहार कर सकते हैं। सामान्य स्थिति में रात्रि में भगवान की पूजा के बाद जल और फल ग्रहण कर सकते हैं। इस व्रत में रात्रि जागरण करने का बड़ा महत्व है। द्वादशी तिथि के दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। यह ध्यान रखें कि द्वादशी के दिन बैंगन नहीं खाएं। भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन की एकादशी अजा नाम से पुकारी जाती है। इस एकादशी का व्रत करने के लिये व्यक्ति को दशमी तिथि को व्रत करने वाले व्यक्ति को व्रत संबन्धी कई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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इस दिन निम्न वस्तुओं का त्याग करें

व्रत की दशमी तिथि के दिन व्यक्ति को मांस कदापि नहीं खाना चाहिए। दशमी तिथि की रात्रि में मसूर की दाल खाने से बचना चाहिए। इससे व्रत के शुभ फलों में कमी होती है। चने नहीं खाने चाहिए। करोदों का भोजन नहीं करना चाहिए। शाक आदि भोजन करने से भी व्रत के पुन्य फलों में कमी होती है। इस दिन शहद का सेवन करने से एकादशी व्रत के फल कम होते है। व्रत के दिन और व्रत से पहले के दिन की रात्रि में कभी भी मांग कर भोजन नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इस दिन दूसरी बार भोजन करना सही नहीं होता है। व्रत के दिन और दशमी तिथि के दिन पूर्ण ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए। व्रत की अवधि मे व्यक्ति को जुआ नहीं खेलना चाहिए। एकादशी व्रत हो या अन्य कोई व्रत व्यक्ति को दिन समयावधि में शयन नहीं करना चाहिए। दशमी तिथि के दिन पान नहीं खाना चाहिए। दातुन नहीं करना चाहिए। किसी पेड को काटना नहीं चाहिए। अजा एकादशी का व्रत करने के लिए उपरोक्त बातों का ध्यान रखने के बाद व्यक्ति को एकादशी तिथि के दिन शीघ्र उठना चाहिए। उठने के बाद नित्यक्रिया से मुक्त होने के बाद,सारे घर की सफाई करनी चाहिए और इसके बाद तिल और मिट्टी के लेप का प्रयोग करते हुए,कुशा से स्नान करना चाहिए। स्नान आदि कार्य करने के बाद,भगवान श्रीविष्णु जी की पूजा करनी चाहिए।
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

भगवान श्री विष्णु जी का पूजन करने के लिये एक शुद्ध स्थान पर धान्य रखने चाहिए। धान्यों के ऊपर कुम्भ स्थापित किया जाता है। कुम्भ को लाल रंग के वस्त्र से सजाया जाता है और स्थापना करने के बाद कुम्भ की पूजा की जाती है। इसके पश्चात कुम्भ के ऊपर श्री विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर लगाई जाती है। अब इस प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लिया जाता है। बिना संकल्प के व्रत करने से व्रत के पूर्ण फल नहीं मिलते है।संकल्प लेने के बाद भगवान की पूजा धूप,दीप और पुष्प से की जाती है।
अजा एकादशी का पुण्य

पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक अजा एकादशी का व्रत रखता है। उसके पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं। इस जन्म में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी के व्रत से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। मृत्यु के पश्चात व्यक्ति उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करता है।

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