इस देसी जुगाड़ काे अपनाओगे ताे पास नहीं फटकेगी ठंड, चाहे दाैड़ा लेना दुपिहया वाहन भी
यह अलग बात है कि राजभव से भेजे गए पत्र का जवाब तलाशने के लिए अब सभी विश्व विद्यालय आपस में मंथन कर रहे हैं। राजभवन से भेजे गए इस पत्र को नियमों की कसौटी पर कसने की कवायद चल रही है। चाैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने राजभव से यह निर्देश प्राप्त हाेने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि, ऐसा आदेश ताे आया है लेकिन अभी इस पर विचार चल रहा है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की प्रोवीसी वाई विमला के अनुसार अगर ऐसा होता है तो इससे उन हजारों छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा जो विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत परीक्षा देकर स्नातक और परस्नातक करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि यह आदेश प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के लिए हैं।दरअसल दाे तरह के विश्व विद्यालय हाेते हैं। एक वह जाे व्यक्तिगत काेर्स कराते हैं और दूसरे वाे जाे संस्थागत काेर्स कराते हैं। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने यह सवाल उठाया है कि संस्थागत काेर्स कराने वाले विश्व विद्यालयों से व्यक्तिगत काेर्स कराने का अधिकार ले लिया जाए। इसके लिए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कुलाधिपति से आवेदन किया। इसी आधार पर अब कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी केयूर सी संपत ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को प्राइवेट परीक्षाओं पर राेक लगाने की बात कही है। अपने पत्र में उन्हाेंने लिखा है कि इस मामले पर नियमानुसार कार्यवाही की जाए। अब इस मामले में सभी संस्थागत विश्व विद्यालयों के अधिकारी मंथन कर रहे हैं।
प्राइवेट फार्म भरने के नियम को विवि से हटाना टेढ़ी खीर है। इसे विवि के विद्या परिषद और कार्य परिषद से स्वीकृत मिली है जिसे कुलाधिपति की मंजूरी के बाद आर्डिनेंस बना दिया गया है। यह विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालय की आय का प्रमुख जरिया है। वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं ऐसे में अगर यह परीक्षाएं कराने का अधिकार इन विवि से ले लिया गया ताे वित्तीय संगट प्रबल हाे जाएगा।
बता दें कि विश्व विद्यालयों और उनसे संबद्ध महाविद्यालय से बड़ी संख्या में छात्र प्राइवेट परीक्षा फार्म भरते हैं। इन छात्रों को रेग्यूलर पढ़ाई से छूट रहती है। व्यक्तिगत फॉर्म की मोटी फीस विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्रशासन काे यह देते हैं।