मेरठ

श्मशान घाट पर मोक्ष का इंतजार कर रहीं अस्थियों को ‘स्पीड पोस्ट’ दिलवाएगी मुक्ति

डाक विभाग के माध्यम से श्मशान में रखी अस्थियों को गंगा में किया जाएगा प्रवाहित, सामाजिक संस्था और डाक विभाग के बीच हुआ करार

मेरठJun 11, 2021 / 11:25 am

lokesh verma

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. श्मशान घाट पर मोक्ष का इंतजार कर रहीं अस्थियों को अब डाक विभाग ‘स्पीड पोस्ट’ के माध्यम से उनके गंतव्य तक पहुंचाकर मृतकों की आत्मा को शांति दिलवाएगा। बता दें कि कोरोना काल में मोक्ष का इंतज़ार कर रही अस्थियों को लेकर अब डाक विभाग और एक संस्था में करार हुआ है। संस्था न केवल अस्थियों को डाक विभाग के स्पीड पोस्ट माध्यम से गंतव्य तक भेजेगी, बल्कि उनका विसर्जन करके वीडियो रिकॉर्डिंग भी परिजनों को मुहैया कराएगी।
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पहली बार अब डाक विभाग श्मशान घाट पर मोक्ष का इंतज़ार कर रही अस्थियों को गंतव्य तक स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजेगा। अगर कोई व्यक्ति किसी अपने का अस्थि विसर्जन नहीं कर पा रहा है तो उसकी मदद अब डाक विभाग करेगा। डाक विभाग स्पीड पोस्ट के माध्यम से वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार और गया में अस्थियों को विसर्जन के लिए भेजेगा। ओम दिव्य दर्शन नाम की संस्था इन अस्थियों को पवित्र नदियों में विसर्जित करेगी और वीडियो रिकॉर्डिंग परिजनों तक उपलब्ध करवाएगी।
देश के किसी भी कोने में भेज सकते हैं अस्थियां

कोरोना महामारी में अपनों को खोने वाले कुछ लोग अंतिम संस्कार के बावजूद अस्थि विसर्जन नहीं कर पाए हैं। डाक विभाग के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ने बताया कि ओम दिव्य दर्शन सामाजिक संस्था ने पहल की है। चार तीर्थ स्थलों पर देश के किसी भी कोने से लोग अस्थियां भेज सकते हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ के किसी भी डाकघर से स्पीड पोस्ट के माध्यम से अस्थियां भेजी जा सकती हैं। संस्था को जैसे ही अस्थियां मिलेगी। वह नदियों में विसर्जित कर देगी।
दर्जनों लोगों की अस्थियों को अपनों का इंतजार

सूरजकुंड श्मशान घाट के पुरोहित का कहना है कि अभी भी बहुत ऐसे लोग हैं, जो अस्थियां लेने आज तक नहीं लौटे। अब डाक विभाग की इस पहल से अस्थियों को मोक्ष मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण ने हिंदू धर्म के 16 संस्कारों का भी स्वरूप भी बदल दिया है। इस संक्रमण काल में शवों के अंतिम संस्कार, उठावनी, अस्थि विसर्जन और तेरहवीं को प्रभावित किया है। सूरजकुंड श्मशान में दर्जनों लोगों की अस्थियां रखी हैं, जिन्हें आज तक कोई लेने नहीं पहुंचा।
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