मास्क नहीं लगाया तो पुलिस ने लगाया चार लाख रुपये का जुर्माना, जानिए क्या बोले लोग
मेरठ से इस दल में दो राशिद और गुलपनाह गए थे। लौटने के बाद राशिद ने बताया कि इस दल का उद्देश्य घाटी के लोगों को देश और दुनिया के बारे में बताना और उनको हिंन्दुस्तान से जोड़ना था। दल ने वहां के युवाओं को समझाया कि उन्हे जिहाद के सिद्धांत की गलत व्याख्या बताई गई है। उन्हे बताया कि जिहाद की असली व्याख्या शांतिपूर्ण समाज की स्थापना करना है। गुलपनाह ने बताया कि इस अभियान के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला कि इस्लाम अपने अनुयायियों को साथी मनुष्यों को नुकसान पहुंचाने की शिक्षा नहीं देता है। बल्कि यह शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को बढावा देता है। यह बताया गया है कि धार्मिक पुस्तकों को यदि सम्पूर्णता में न पढ़ा जाए और ना समझा जाए तो उसकी व्याख्या भी गलत हो जाती है। सभी मौलवियों व मुस्लिम युवकों को इस्लामी मजहबी पुस्तकों को उचित व्याख्या कर जुमे की नमाज व खुतबा पढने के दौरान शांति सहानूभूतिपूर्वक व प्रेम का संदेश देने के लिए प्रेरित किया गया।गुलपनाह ने बताया कि वहां पर इस बात पर अधिक बल दिया गया कि महिलाओं को शिक्षित कर व रोजगार के साधन उपलब्ध कराना जरूरी किया जाए जिससे कि वह युवाओं को धार्मिक कटटरता से दूर रख सकें। यह भी कहा गया कि परिवार व माताओं की बच्चों की शिक्षा में अहम भूमिका होती है जिससे कि वो बच्चों को भ्रामक सूचनाओं के विरुद्ध कदम उठाते हुए मदरसा शिक्षा व्यवस्स्था को आधुनिक व विज्ञान आधारित बनाने पर जोर देना चाहिए। प्रतिभागियों ने एकमत होकर कहा कि कुछ उलेमाओं की संकीर्ण सोच की वजह से इस्लाम की गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा कि इस दौरान उनकी सुरक्षा काफी पुख्ता थी। दस दिन के इस कार्यक्रम में घाटी के कई जिलों में बैठकें की और लोगों से मिले।