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अमेरीका और ब्रिटेन के छात्रों को पीछे छोड़ नोएडा के बच्चों ने मारी बाजी, जीती नासा की प्रतियोगिता हजारों विद्यार्थी कर चुके हैं एमफिल विवि परिसर में एमफिल हिंदी, भाषा विज्ञान, फिजिक्स,केमेस्ट्री, बॉटनी, जूलॉजी, स्टेटिस्टिक्स समेत दर्जनों विषयों में होती है। इन विषयों में लगभग सैकड़ों सीटें हैं। अब तक हजारों विद्यार्थी चौधरी चरण सिंह विवि से एमफिल कर चुके हैं।
एम फिल के थे कई फायदे चौधरी चरण सिंह विवि के भूगोल के प्रोफेसर डाॅ. कंचन सिंह का मानना है कि एमफिल के बहुत फायदे हैं। एमफिल में पीएचडी के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है। फाइनल सेमेस्टर में लघु शोध प्रबंध भी तैयार होता है। एमफिल किए हुए छात्र को पीएचडी करने में बहुत आसानी हो जाती है, क्योंकि उसे 80 प्रतिशत शोध की जानकारी होती है। वहीं, एमए के बाद सीधे पीएचडी में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थी शोध से अनभिज्ञ होते हैं। एमफिल किए विद्यार्थियों को पीएचडी थीसिस जमा करने में भी छूट मिलती है और 2017-18 की यूजीसी की गाइडलाइंस के मुताबिक पीएचडी एंट्रेस एग्जाम भी नहीं देना होता है।
एमए के पाठयक्रम में शामिल होगा शोध प्रविधि संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधाकराचार्य त्रिपाठी की मानें तो एमए के पाठ्यक्रम में शोध प्रविधि को शामिल करना होगा। मेरे हिसाब से एमफिल का कोई फायदा नहीं होता है, क्योंकि लेक्चरर बनने के लिए पीएचडी अनिवार्य है। छह महीने का कोर्स वर्क पीएचडी में भी होता है। ऐसे में एमफिल करना समय की बर्बादी ही होती है। इस साल तो प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।