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मेरठ

39 वर्ष पहले आज ही के दिन रंगीन हुआ था दूरदर्शन

मेरठ में 1960 में खुली थी पहली टीवी की दुकान, दूरदर्शन ने बढ़ाई थी देश में टीवी की लोकप्रियता, 1959 में हुई थी देश में टेलीविजन की शुरूआत

मेरठApr 25, 2021 / 01:57 pm

shivmani tyagi

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Doordarshan was colored 39 years ago

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मेरठ meerut news दूरदर्शन क्रांति doordarshan television के लिहाज से आज का दिन ऐतिहासिक है। आज से करीब 39 साल पहले आज ही के दिन 25 अप्रैल 1982 को दूरदर्शन doordarshan रंगीन हुआ था। इसी दिन से देश ने एशियाई खेलों की मेजबानी की थी। दूरदर्शन पर खेलों का रंगीन प्रसारण किया गया था। इस प्रसारण ने देश में टीवी की लोकप्रियता को बढ़ा दिया था। आज हमारे पास सैकड़ों OTT App हैं लेकिन तब दूरदर्शन ही एक माध्यम हुआ करता था। पहले प्रसारण का समय भी तय था अब इसका समय 24 घंटे हो गया है।
1960 में मेरठ में खुली थी टीवी की पहली दुकान
मेरठ में 1960 में टीवी की दुकान खोलने वाले सुदंर तनेजा के बेटे राकेश तनेजा बताते हैं कि मेरठ में टीवी की सबसे पहली दुकान उनके पिता की थी। 1980 के दशक में इक्का दुक्का लोग ही टीवी ठीक करवाने आते थे। एक टीवी को ठीक करने में करीब दो दिन लगते थे। राकेश ने बताया कि 1959 में देश में टेलीविजन की शुरुआत हुई थी। उस समय यह आकाशवाणी का हिस्सा ही था बाद में अलग हुआ। शुरुआत में सप्ताह में दो दिन केवल एक-एक घंटे के कार्यक्रम प्रसारित होते थे। इनका उद्देश्य नागरिकों को जागरूक करना होता था। 1965 में इसे दूरदर्शन नाम मिला। रोजाना प्रसारण भी शुरू हुआ। इसके बाद विज्ञापन आने लगे। फिर कृषि दर्शन आया, जो आज भी दूरदर्शन के अलग-अलग चैनलों पर प्रसारित होता है। चित्रहार पर फिल्मी गाने प्रसारित होते थे।
ब्लैक एंड व्हाइट से कलर आने में लग गए 23 साल
देश में ब्लैक एंड व्हाइट से कलर टीवी आने में 23 साल का सफर लग गया। यानी 1982 में टीवी रंगीन हुआ। उस समय दूरदर्शन का ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन होना इतनी बड़ी उपलब्धि थी कि रंगीन टीवी स्टेटस सिंबल बन गया था। इसकी डिमांड इतनी बढ़ गई थी कि सरकार को विदेशों से इम्पोर्ट करवाना पड़ा था। 1980 के दशक में दूरदर्शन घर-घर में गया। हम लोग, छाया, रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक doordarshan program का प्रसारण शुरू हुआ। रामायण-महाभारत इतने अधिक लोकप्रिय हुए कि उनके प्रसारण के समय गांवों से लेकर शहरों तक सड़कें वीरान हो जाती थी।
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