मेरठ में 1960 में टीवी की दुकान खोलने वाले सुदंर तनेजा के बेटे राकेश तनेजा बताते हैं कि मेरठ में टीवी की सबसे पहली दुकान उनके पिता की थी। 1980 के दशक में इक्का दुक्का लोग ही टीवी ठीक करवाने आते थे। एक टीवी को ठीक करने में करीब दो दिन लगते थे। राकेश ने बताया कि 1959 में देश में टेलीविजन की शुरुआत हुई थी। उस समय यह आकाशवाणी का हिस्सा ही था बाद में अलग हुआ। शुरुआत में सप्ताह में दो दिन केवल एक-एक घंटे के कार्यक्रम प्रसारित होते थे। इनका उद्देश्य नागरिकों को जागरूक करना होता था। 1965 में इसे दूरदर्शन नाम मिला। रोजाना प्रसारण भी शुरू हुआ। इसके बाद विज्ञापन आने लगे। फिर कृषि दर्शन आया, जो आज भी दूरदर्शन के अलग-अलग चैनलों पर प्रसारित होता है। चित्रहार पर फिल्मी गाने प्रसारित होते थे।
देश में ब्लैक एंड व्हाइट से कलर टीवी आने में 23 साल का सफर लग गया। यानी 1982 में टीवी रंगीन हुआ। उस समय दूरदर्शन का ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन होना इतनी बड़ी उपलब्धि थी कि रंगीन टीवी स्टेटस सिंबल बन गया था। इसकी डिमांड इतनी बढ़ गई थी कि सरकार को विदेशों से इम्पोर्ट करवाना पड़ा था। 1980 के दशक में दूरदर्शन घर-घर में गया। हम लोग, छाया, रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक doordarshan program का प्रसारण शुरू हुआ। रामायण-महाभारत इतने अधिक लोकप्रिय हुए कि उनके प्रसारण के समय गांवों से लेकर शहरों तक सड़कें वीरान हो जाती थी।