पंडित भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि गणेश चित्र या छोटी सी मूर्ति का विसर्जन आवश्यक नहीं होता। उन्होंने बताया कि इस बार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) चित्रा नक्षत्र में ब्रह्म योग, रवि योग व मुसल योग में आ रही है। इस कारण से यह त्रियोगी हो गई है। इसको पत्थर चौथ भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान गणेश का प्राकट्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) की भगवान गणेश की मध्य दोपहर अभिजीत योग में हुआ था। इसलिए गणेश स्थापना, विशेष पूजन पंचामृत स्नान, चंदन, हल्दी, केसर लेपन व आरती का समय यही है, जो इस बार 10 सितंबर गणेश चतुर्थी 12.19 से 1.51 बजे के मध्य है। उन्होंने बताया कि यह मुहूर्त अति शुभकारी है।
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Ayodhya: दीपोत्सव पर फिर कीर्तिमान बनाने की तैयारी, शामिल हो सकते हैं पीएम मोदी गणपति स्थापना व पूजन मुहूर्त गणपति आगमन, विशेष पूजन कीर्तन मुहूर्त – लाभ अमृत योग- प्रातः 7:36 से 10:43 तक
स्थापना अभिजीत काल में, पंचामृत स्नान, भोग प्रसाद – शुभ योग- दिन 12:19 से 1:51 तक
निषेध राहुकाल- दिन 10:44 से 12:18 तक गणपति स्थापना की दिशा (Ganpati Sthapana Puja Vidhi) गणेश जी की नई मूर्ति उत्तर दिशा के शुद्ध स्थल पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर पीले आसन पर इस तरह स्थापित करें की गणेश विग्रह की पीठ उत्तर दिशा में हो तथा मुख दक्षिण की दिशा में हो। गणेश भक्त उत्तर की ओर मुख करके गणपति पूजन (Ganesh Chaturthi Puja) करें।
ऐसे दूर करें कलंकी प्रभाव श्री कृष्ण द्वारा स्यमंतक मणि को जामवंत से जीतने की कथा पढ़ें, सुने। भगवान कृष्ण को लगा मणि चोरी कलंक जिस प्रकार मिटा वैसे आप पर भी परमात्मा व प्रकृति की कृपा प्राप्त हो सकेगी. जपे-”सिंह: प्रसेनम”।