जयंत चौधरी बोलना शुरू किए तो कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति जताई। नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जानना चाहा कि किस नियम के तहत रालोद नेता को बोलने की अनुमति दी गई। इस पर जयंत ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
जयंत ने कहा कि चौधरी साहब यानी चौधरी चरण सिंह के निधन के 37 साल बाद एक सरकार ने उन्हें सम्मानित किया। अगर उन्हें (कांग्रेस) इसमें कोई गलती और कुछ बातचीत दिख रही है तो यह उनके वैचारिक पतन का प्रतीक है। जयंत चौधरी ने INDIA गठबंधन से अलग होने के अपने फैसले पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में रालोद को 7 सीट देने की घोषणा कर चुकी है।
जयंत चौधरी ने कहा कि इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है। ये बातें अंदरूनी और आपसी विश्वास की होती है। अखिलेश जी से बातचीत का मैं कोई आलोचना नहीं करूंगा। जब समय पर हमारा गठबंधन घोषित होगा तो मैं बताऊंगा कि मैंने अपना स्टैंड क्यों बदला। गठबंधन का उनका इसारा एनडीए की तरफ था।
गठबंधन के सवाल पर रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत आस्था का सवाल नहीं है। रालोद के लिए मैं जिम्मेदार हूं। अपने लोगों का भला कैसे होगा? किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे निकाल पाऊंगा? इन विषयों को ध्यान में रखकर फैसला करूंगा।