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मेरठ

Nirbhaya Case: चारों दरिदों को फांसी देकर पवन ने तोड़ा अपने दादा का रिकॉर्ड

Highlights

20 मार्च को दे दी गई निर्भया के दोषियों को फांसी
पवन जल्‍लाद चार पीढ़ियों से कर रहे हैं यह काम
दादा कालूराम ने एक साथ दो दोषियों को दी थी फांसी

मेरठMar 20, 2020 / 09:49 am

sharad asthana

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मेरठ। आखिरकार निर्भया (Nirbhaya) के दोषियों को 20 मार्च (March) की सुबह फांसी दे दी गई। इसके बाद करीब सात साल बाद निर्भया को इंसाफ मिला है। सुबह साढ़े पांच बजे मेरठ (Meerut) निवासी पवन जल्‍लाद ने चारों को तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में एक साथ फांसी देकर अपने दादा का रिकॉर्ड तोड़ा।
चार दोषियों को दी फांसी

मेरठ में कांशीराम कॉलोनी में रहने वाले पवन जल्‍लाद (Pawan Jallad) ने शुक्रवार सुबह चारों दरिंदों को फांसी दी है। उनके दादा कालूराम भी जल्‍लाद थे। पनव का यह खानदानी पेशा है। उसके पिता मम्मू, दादा कालूराम और परदादा लक्ष्मणराम भी यह काम करते थे। चार पीढ़ियों से उनका यह खानदानी पेशा रहा है।
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कालूराम ने दो को दी थी फांसी

मूलरूप से मेरठ के रहने वाले पवन के दादा कालूराम जल्‍लाद उर्फ कल्लू ने सन् 1981 में रंगा और बिल्‍ला को एक साथ फंसी दी थी। रंगा और बिल्‍ला ने मासूम भाई-बहन संजय और गीता चोपड़ा की हत्या की थी। कालूराम ने पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी (Indira Gandhi) के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को भी फांसी के फंदे पर लटकाया था।
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पिता भी थे जल्‍लाद

पवन के पिता मम्‍मू ने भी कई दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया है। 1975 मेरठ जेल में आखिरी बार फांसी दी गई थी। उस समय मम्‍मू ने कर्णसिंह को फांसी दी थी। मम्मू सिंह ने लास्‍ट टाइम वर्ष 1997 में कांताप्रसाद तिवारी को फंदे पर लटकाया था। मम्‍मू सिंह के बेटे पवन ने एक साथ चार दोषियों को फांसी देकर अपने दादा के एक साथ दो लोगों को फांसी देने के रिकॉर्ड को तोड़ा है।

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