मेरठ महानगर को जाम से मुक्त करने की कोई पहल नहीं की गई है। मेरठ के प्रमुख चौराहे सुबह आठ बजे से ही जाम के झाम से हांफने शुरू हो जाते हैं। भारी भरकम ट्रैफिक अमला और पुलिस व्यवस्था के बाद भी इस शहर को जाम से छुटकारा नहीं मिल रहा है। महानगर को हापुड़ अड्डा चौराहा सबसे व्यस्त और प्रमुख चौराहों में से एक है। इस चौराहे से महानगर के प्रत्येक भाग के लिए सड़क निकलती है। इस चौराहे की प्रत्येक सड़क सुबह आठ बजे से ही जाम से जूझने लगती है। यहां दिन निकलते ही आटो चालकों और ई-रिक्शा चालकों का राज हो जाता है। चारों ओर अव्यवस्थित खड़े वाहन और सवारियों के लिए आवाज लगाते चालकों की मनमानी के कारण यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है।
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हालात यह हैं कि इस चौराहे को पार करने में ही एक से डेढ घंटा तक लग जाता है। इस चौराहे पर आपको सब चीज मिलेंगी जो कि जाम के लिए जिम्मेदार होती हैं। बस नहीं मिलेगा तो ट्रैफिक सिपाही या पुलिस का हवलदार। हापुड अड्डे से गढ़ रोड तक जाने वाली आधी सड़क पर फल की रेहड़ियों का कब्जा रहता है। बाकी बची सड़क पर अवैध रूप से संचालित हो रही बसों का कब्जा हो जाता है। इस संबंध में वार्ड-58 के पार्षद अंशुल गुप्ता का कहना है कि यहां पर जाम की समस्या काफी गंभीर है। यहां आसपास रहने वाले लोग दिन में घर से निकलने से डरते हैं। अगर किसी काम के लिए जाना हो तो 15 मिनट का रास्ता डेढ़ घंटे में पूरा होता है। पुलिस जाम खुलवाने में असमर्थ है। ई रिक्शा, टैंपो चालक सड़कों पर ही खड़े रहते हैं। पंजाबी संगठन महानगर के अध्यक्ष पंकज जौली कहते हैं कि जाम की दो वजह है। एक तो हम नहीं सुधर रहे दूसरा प्रशासन। सभी को आगे निकलने की जल्दी है। अगर सभी लोग मिल-जुलकर काम करें तो जाम खुद-ब-खुद ही निपट जाएगा। पुलिस अगर ढंग से कंट्रोल करे तो जाम की समस्या समाप्त हो जाएगी।
पुलिस चौकी का बुरा हाल हापुड़ अडडे चौराहे पर पुलिस चौकी के नाम पर एक बूथ बना हुआ है। उसका भी हाल-बेहाल है। बूथ भी भीतर से जर्जर हालत में पहुंच चुका है। उसके भीतर गर्मी से निपटने के लिए न तो पंखा लगा हुआ है और न ही यहां पर कोई पुलिसकर्मी अपनी डयूटी इमानदारी के साथ बैठकर करता है।