यह भी देखें: इस मंदिर में पहली बार हुई थी मंदोदरी की रावण से मुलाकात सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद होती है पूरी मंदिर के पुजारी पंडित हरीशचन्द्र जोशी ने बताया कि मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि और शिवरात्रि पर प्रति वर्ष लाखों कांवड़िए मंदिर के शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। हर सोमवार को सैकड़ों धर्मप्रेमी मनोकामनाओं को लेकर मंदिर आते हैं। जब भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है तो वह शिव-पार्वती की पोषाक चढ़ाने के बाद भंडारे का आयोजन करता है।
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मयदानव ने कराया था भंडारा पुराणों के अनुसार, मेरठ का प्राचीन नाम मयदानव का खेड़ा था और वह राक्षसपुरा का राजा था। मेरठ मयदानव की राजधानी थी। मयदानव की एक पुत्री थी, जिसका नाम मंदोदरी था। उसके नाम से ही इस नगर का नाम मयराष्ट्र पड़ा था। मंदोदरी शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। मंदोदरी ने अपने पिता से श्री बिल्वेश्वर शिव मंदिर में भंडारा कराने की बात कही थी। मयदानव ने लोगों को मंदिर में आमंत्रित कर भंडारे का आयोजन किया था। यह भी पढ़ें
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ऐसे प्रसन्न हुए भगवान भोलेनाथ ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर को भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है। जो कोई भी भक्त मंदिर में सच्चे मन और श्रद्धा से भगवान शिव की अराधना करता है और 40 दिन तक शिवलिंग के पास दीपक जलाता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। मंदोदरी ने भी 40 दिन तक इस मंदिर में दीप जलाकर भगवान को प्रसन्न किया था। यह भी पढ़ें