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क्वारेंटीन सेंटर में मरीजों को दी जा रही सब्जी और रोटी पर उठाए सवाल, वीडियो वायरल बताया जाता है कि सुनील कुमार नेहरू नगर नौचंदी ग्रांउड के पास रहता था। वह एक ठेकेदार हरीश के पास मजदूरी करता था। लॉकडाउन के चलते काम चला गया तो उसके पास पैसे भी खत्म हो गए। यहां पर उसे खाने के भी लाले पड़ गए। वह पिछले एक महीने से घर जाने का प्रयास कर रहा था। पुलिस प्रशासन में भी अपना नाम लिखवाया था, लेकिन वहां से भी उसे कोई उम्मीद नहीं दिखी। घर जाने की उम्मीद से वह कंकरखेड़ा बाईपास पहुंचा कि वहां से उसे बस जरूर मिल जाएगी। बस के इंतजार में दोपहर दो बजे तक बैठा रहा। अचानक सीने में दर्द उठा और उसके साथी उसे वापस ले आए। उसे एंबुलेंस से मेडिकल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
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लॉकडाउन के दौरान बच्चों के विवाद में पथराव और हुई 50 राउंड फायरिंग, दो युवक घायल सीओ सिविल लाइन संजीव देशवाल का कहना है कि शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। परिजनों को फोन पर इसकी जानकारी दी गई तो उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बता दें कि मजदूर बेसहारा हो गए। घर पहुंचने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है, फिर भी संसाधन नहीं मिल रहे। सरकार द्वारा प्रवासियों के लिए बसों का संचालन हुआ, जो तीन दिन में ही धड़ाम हो गया। इसी का ही नतीजा है कि अंबेडकर नगर का रहने वाला मजदूर बस की इंतजार में मेरठ में कंकरखेड़ा बाईपास पर बैठा था। बस नहीं आई, लेकिन उसको मौत खींचकर ले गई।