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देशभर में कोविद-19 मरीजों के लिए 1.30 लाख बेड, केवल 1.5% का हो रहा है इस्तेमाल

कोरोना के अधिकांश मरीज जल्दी ठीक हो रहे हैं
गाइडलाइन में बदलाव से पहले सरकार को प्रवासियों के लौटने का इंतजार है
प्राइवेट फर्मों ने अलग से कोविड अस्पताल बनाने का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा

नई दिल्लीMay 10, 2020 / 09:30 am

Dhirendra

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नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( coronavirus ) की तैयारियों का असर अब दिखने लगा है। इन तैयारियों की वजह से COVID-19 मरीजों के लिए डेडिकेटेड अस्पतालों में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा बेड उपलब्ध हैं। जबकि इस्तेमाल केवल 1.5 फीसदी बेड का हो रहा है। इसके पीछे जो वजह सामने उभरकर सामने आई है उनमें प्रमुख यह है कि कोरोना के मरीजो में संक्रमण का स्तर बहुत हल्का है। अधिकांश मरीज आसानी से ठीक हो रहे हैं।
बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण स्तर कम होने और तेज रिकवरी के कारण इस बात की उम्मीद ज्यादा है कि भारत कोरोना की जंग जल्दी जीत जाएगा। साथ ही इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि स्थितियों का गहनता के साथ समीक्षा कर कोरोना के खाली पड़े बेड का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से नॉन-कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। इस स्थिति को चिकित्स सेवा से जुड़े लोग शुभ संकेत मान रहे हैं।
वर्तमान में हालात यह है कि कोरोना के खतरे के बाद से ज्यादातर अस्पतालों में अन्य मरीजों को छुट्टी दे दी गई थी। ओपीडी भी बंद कर दिए गए थे। इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हमारे अस्पतालों में भीड़ नहीं है। हमने क्षमता और बढ़ाई है। ज्यादातर केसों में अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत नहीं होती है। देशभर में 1 लाख 30 हजार बेड्स तैयार किए गए थे, जिसमें से बमुश्किल दो हजार बेड्स का इस्तेमाल हुआ है।
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दूसरी तरफ लॉकडाउन 3.0 ( Lockdown 3.0 ) में छूट का दायरा बढ़ने और प्रवासी मजदूरों के उनके गांव लौटने की स्थिति को देखते हुए सरकार जल्द अपने प्लान में बदलाव नहीं करना चाहती है। सरकार इंतजार में है कि अगले कुछ दिनों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के केस किस गति से बढ़ते हैं इस बात का पहले सटीक अनुमान लगा लिया जाए।
अभी तक कोविड-19 मरीजों के लिए डेडिकेटेड अस्पतालों में 99 हजार बेड ऑक्सिजन सपोर्ट और 35 हजार बेड आईसीयू की सुविधा वाले हैं। 1.30 लाख बेड्स में से ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में हैं। सिर्फ 10 फीसदी बेड मेट्रो सिटीज के प्राइवेट अस्पतालों में हैं।
देशभर में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए 970 अस्पताल हैं। वहीं 2300 कोविड हेल्थ सेंटर हैं जिनमें या तो डेडिकेटेड कोविड ब्लॉक्स बनाए गए हैं या फिर पूरे अस्पताल को ही कोविड अस्पताल ( Covid Hospital ) में बदलतर कम संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
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स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बेड्स के इस्तेमाल के आधार पर बढ़ाने या घटाने का फैसला लिया जाएगा। मुझे लगता है कि अभी हम और इंतजार करेंगे और इस महीने के अंत तक ही इसपर कोई फैसला लेंगे।
दूसरी तरफ चीन की तर्ज पर केंद्र सरकार को प्राइवेट सेक्टर की ओर से अलग से कोविड-19 अस्पताल बनाने के प्रस्ताव भी मिले हैं। भारत सरकार ने अभी इसपर कोई फैसला नहीं लिया है। अलग से कोविद-19 अस्पताल बनाने में कई प्राइवेट कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में सिर्फ 1.1 पर्सेंट मरीज वेंटिलेटर पर हैं, 3.3 फीसदी मरीज ऑक्सिजन पर हैं। 4.8 पफीसदी मरीज आईसीयू बेड पर हैं। यह इस बात का संकेत है कि भारत में संक्रमण की संख्या भले की बढ़ी हो लेकिन संक्रमण की गंभीरता कम है। इसके अलावा देशभर में 6.45 लाख बेड्स के आइसोलेशन का भी इंतजाम है।

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