बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की याचिका पर सुनवाई के तैयार हो गया है, जिसने कोर्ट से कहा है कि उसने मुस्लिम कानून के हिसाब से निकाह किया है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट इस बात पर भी विचार करेगा कि मुस्लिम लड़की कब बालिग होती है? और क्या वह 18 साल से पहले शादी कर सकती है?
लड़की के वकील दुष्यंत पाराशर ने शफीन जहां केस का हवाला देते हुए कहा कि कानून सबके लिए बराबर है। सभी को अपनी पसंद के पार्टनर के साथ रहने का हक है। उसने बालिग होने के बाद खुद ये निर्णय लिया है और मुस्लिम कानून के मुताबिक निकाह किया है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट भी ये देखेगा कि क्या क्या बालिग होने की उम्र 18 साल से पहले है?
हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती दरअसल, यह मामला अयोध्या का है। पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और फिर हाईकोर्ट ने एक नाबालिग की शादी को रद्द कर दिया और उसे शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को इस लड़की ने चुनौती दी है और कहा है कि उसने शादी अपनी मर्जी से की है न कि किसी दवाब में आकर। वह शादीशुदा है और ऐसे में उसे दांपत्य जीवन गुजारने की इजाजत दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की सहमति देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने को कहा है।
लड़की के पिता ने पुलिस से की थी अपहरण की शिकायत जानकारी के मुताबिक मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक लड़की की उम्र 16 वर्ष है। इससे पहले लड़की के पिता ने एक केस दायर कर बेटी के अपहरण की शिकायत दी थी। लेकिन लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए अपने बयान में कहा कि उसने युवक से अपनी मर्जी से शादी की है। वह लड़के के साथ ही रहना चाहती है और वो अपने पति के साथ ही रहना चाहती है।