scriptअफगानिस्तान धमाके से जिंदगी भर का दर्द लेकर लौटे परिवारों को भुलाए नहीं भूलता वो भयानक मंजर | Admits in aiims for treatment families talk about blast in afghanistan | Patrika News
विविध भारत

अफगानिस्तान धमाके से जिंदगी भर का दर्द लेकर लौटे परिवारों को भुलाए नहीं भूलता वो भयानक मंजर

अफगानिस्तान धमाके से जिंदगी भर का दर्द लेकर लौटे परिवारों को भुलाए नहीं भूलता वो भयानक मंजर

नई दिल्लीJul 21, 2018 / 01:39 pm

धीरज शर्मा

aiims

अफगानिस्तान धमाके से जिंदगी भर का दर्द लेकर लौटे परिवारों को भुलाए नहीं भूलता वो भयानक मंजर

नई दिल्ली। अफगानिस्तान के जलालाबाद में 1 जुलाई को हुए बम धमाकों से बचकर निकले एक सिक्ख परिवार ने जब अपनी दुख भरी दास्तां सुनाई तो हर किसी के आंखों में आंसू आसानी से देखे जा सकते थे। दरअसल अफगानिस्तान के जलालाबाद में 1 जुलाई को सिख-हिंदू कम्युनिटी का काफिला अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहा था, जिसे आतंकियों ने शिकार बनाया। धमाकों की वजह से १९ लोगों की जान चली गई, जिनके परिवारों पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। गुरुवार को भारत आने के बाद से ये परिवार अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं, लेकिन ये रोजाना वेस्ट दिल्ली के रघुबीर नगर में मौजूद काबुली गुरुद्वारा जरूर जाते हैों। वहां इन्हें खाने के साथ-साथ बाकी तरह की मदद भी मिल रही हैं।
देश के कई इलाकों में सुस्त मानसून फिर हुआ सक्रिय, अगले 96 घंटे कई राज्यों में होगी भारी बारिश
बेहतर इलाज के लिए दिल्ली आए धमाकों में जान गंवाने वालों और घायल लोगों के करीब 14 परिवार में से एक सिक्ख फैमिली ने हादसे का हाल सुनाया। इलाज करवा रहे नरेंद्र ने बताया कि हमले में अपने पिता अवतार सिंह खालसा को खो दिया, वह सिख नेता थे। जब हमला हुआ तब पिता का चार गाड़ियों का काफिला राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहा था।

धमाके वाले पल को याद करते हुए नरेंद्र कुछ परेशान हो जाते हैं वो कहते हैं, ‘अचानक एक बम फटा, मैंने देखा कि कुछ लोगों ने मेरे सामने ही दम तोड़ दिया। मेरे जैसे घायल लोग एक दूसरे की मदद से गाड़ियों से बाहर निकलने की कोशिश कर रही रहे थे कि फिर दूसरा बम फट गया।’ यह सबकुछ एक भयानक सपने जैसा लग रहा था। मैंने पहले भी वहां बम फटते हुए देखे हैं लेकिन मैं खुद या अपने किसी को शिकार बनते नहीं देखा था।
बड़ा बयानः गोतस्करी को लेकर ओवैसी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, गाय तो सुरक्षित लेकिन…
धमाके में मनमीत सिंह नाम के सिख ने भी जान गंवाई, उनके साथ उनके पिता भी मारे गए। दिल्ली आई उनकी पत्नी उस दिन को याद करते हुए कहती हैं, ‘हमारे घर के बाहर कुछ लोग भागते हुए आए और चिल्लाने लगे कि कुछ सिख लोगों को आतंकियों ने मार दिया है।’ मनमीत की मां उस पल को याद करते हुए कहती हैं, ‘मेरी बेटी भागती हुई मेरे पास आई और बोली मां हम दोनों विधवा हो गए। जाहिर इस तरह शब्द बोलने और सुनन के लिए कितना बड़ा कलेजा चाहिए…मनजीत की मां ने अपनी बेटी एक तमाचा मारा और ऐसे किसी की बातों पर विश्वास न किया करो। जब मनजीत का मां हादसे वाली जगह पहुंची तो पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया…बाद में फोन के जरिये उन्हें पति की मौत की सच्चाई पता चली।

Home / Miscellenous India / अफगानिस्तान धमाके से जिंदगी भर का दर्द लेकर लौटे परिवारों को भुलाए नहीं भूलता वो भयानक मंजर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो