बेहतर इलाज के लिए दिल्ली आए धमाकों में जान गंवाने वालों और घायल लोगों के करीब 14 परिवार में से एक सिक्ख फैमिली ने हादसे का हाल सुनाया। इलाज करवा रहे नरेंद्र ने बताया कि हमले में अपने पिता अवतार सिंह खालसा को खो दिया, वह सिख नेता थे। जब हमला हुआ तब पिता का चार गाड़ियों का काफिला राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहा था।
धमाके वाले पल को याद करते हुए नरेंद्र कुछ परेशान हो जाते हैं वो कहते हैं, ‘अचानक एक बम फटा, मैंने देखा कि कुछ लोगों ने मेरे सामने ही दम तोड़ दिया। मेरे जैसे घायल लोग एक दूसरे की मदद से गाड़ियों से बाहर निकलने की कोशिश कर रही रहे थे कि फिर दूसरा बम फट गया।’ यह सबकुछ एक भयानक सपने जैसा लग रहा था। मैंने पहले भी वहां बम फटते हुए देखे हैं लेकिन मैं खुद या अपने किसी को शिकार बनते नहीं देखा था।
धमाके में मनमीत सिंह नाम के सिख ने भी जान गंवाई, उनके साथ उनके पिता भी मारे गए। दिल्ली आई उनकी पत्नी उस दिन को याद करते हुए कहती हैं, ‘हमारे घर के बाहर कुछ लोग भागते हुए आए और चिल्लाने लगे कि कुछ सिख लोगों को आतंकियों ने मार दिया है।’ मनमीत की मां उस पल को याद करते हुए कहती हैं, ‘मेरी बेटी भागती हुई मेरे पास आई और बोली मां हम दोनों विधवा हो गए। जाहिर इस तरह शब्द बोलने और सुनन के लिए कितना बड़ा कलेजा चाहिए…मनजीत की मां ने अपनी बेटी एक तमाचा मारा और ऐसे किसी की बातों पर विश्वास न किया करो। जब मनजीत का मां हादसे वाली जगह पहुंची तो पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया…बाद में फोन के जरिये उन्हें पति की मौत की सच्चाई पता चली।