scriptAIQ Reservation: द्रमुक को मंजूर नहीं 27 प्रतिशत आरक्षण, हाईकोर्ट में की 50 प्रतिशत से ऊपर की मांग | AIQ Reservation: DMK Demanding more than 50 percent reservation | Patrika News

AIQ Reservation: द्रमुक को मंजूर नहीं 27 प्रतिशत आरक्षण, हाईकोर्ट में की 50 प्रतिशत से ऊपर की मांग

locationनई दिल्लीPublished: Aug 04, 2021 11:51:43 am

Submitted by:

Ronak Bhaira

AIQ Reservation: केंद्र सरकार ने हाल ही में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटे (AIQ) के तहत 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। लेकिन तमिलनाडु की सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हाल ही में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटे (AIQ) के तहत सरेंडर्ड सीटों के परिप्रेक्ष्य में मौजूदा शैक्षणिक सत्र से 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी।
इसी मामले को लेकर द्रमुक (DMK) ने मद्रास उच्च न्यायालय में इस आरक्षण को अस्वीकार करने की बात कही।
केंद्र के खिलाफ डीएमके की अवमानना याचिका पर सुनवाई हो रही थी। उसी दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी डी औदिकेसवलु की प्रथम पीठ के समाने कहा कि राज्य सरकार 69 प्रतिशत नहीं तो 50 प्रतिशत से कम कुछ भी स्वीकर नहीं करने वाली, जैसा पहले की पीठ ने भी सिफारिश की थी।
यह भी पढ़ें

मेडिकल में आरक्षण की नई घोषणा के मायने

बता दें कि द्रमुक और इनके सहयोगियों के द्वारा दायर की गई याचिका पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए पी साही के नेतृत्व वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं के दावे के अनुसार आरक्षण के क्रियान्वयन से जुड़े नियमों को उपलब्ध कराने के लिए एक अलग समिति के गठन का सुझाव दिया था। उस समय कोर्ट ने समिति को आरक्षण का प्रतिशत निर्धारित करने का अधिकार भी दिया था।
जब यह मामला 19 जुलाई को फिर सामने आया, तो मुख्य न्यायाधीश बनर्जी की अगुवाई वाली वर्तमान पीठ ने केंद्र को 1993 के राज्य अधिनियम के संदर्भ में ओबीसी आरक्षण कोटा के कार्यान्वयन के तरीके और तरीके पर अपना रुख इंगित करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
यह भी पढ़ें

पीएम मोदी की घोषणा, NEET में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण मिला

1993 के राज्य अधिनियम के अनुसार, तमिलनाडु में छात्रों के प्रवेश के लिए आरक्षण 69 प्रतिशत था, जो कि पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों और नियुक्तियों या पदों में सीटों का आरक्षण) के प्रवर्तन के आधार पर तय किया गया था।
AIQ Reservation: DMK Demanding more than 50 percent reservation
पीठ ने केंद्र को रूख स्पष्ट करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था लेकिन इसी बीच केंद्र ने 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी। जिस पर वरिष्ठ अधिवक्ता विल्सन ने दलील देते हुए कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण हाईकोर्ट के जुलाई 2020 और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बिल्कुल विपरीत है। गौरतलब है कि उस आदेश में एआईक्यू के तहत ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की बात कही थी लेकिन केंद्र द्वारा फिलहाल 27 प्रतिशत की ही घोषणा की गई है।
यह भी पढ़ें

मेडिकल कोर्सेज में ओबीसी को 27% और ईडब्लूएस को 10% आरक्षण, इन छात्रों को मिलेगा केंद्र के फैसले का लाभ

पीठ ने अपने पहले के रुख को पुनः से याद दिलाते हुए कहा कि जुलाई 2020 के हाईकोर्ट के आदेश और अक्टूबर 2020 के उच्चतम न्यायालय के आदेश का पूर्ण पालन होना चाहिए। इसलिए कहा जा सकता है कि जब तक आदेश की पालना नहीं होगी, तब तक नीट परीक्षा आयोजित नहीं कराई जा सकेगी। बता दें कि मामले में अगली सुनवाई अब नौ अगस्त को होनी है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो