हालांकि, आबकारी विभाग ( Excise Department ) के अधिकारियों ने नाजुक स्थिति को देखते हुए दुकानदारों से दुकानें न खोलने की सलाह दी थी। यही वजह है कि दुकानें अपराह्न 3 बजे नहीं खुलीं। इसके बावजूद भी जब लोग लाइनों में दुकानों के आगे डटे रहे तो प्रशासन ने दुकानें खोलने की इजाजत शराब ठेका संचालकों को दे दी।
केंद्रीय जांच दल ने ममता सरकार पर लगाया गंभीर आरोप, वेस्ट बंगाल में कोरोना मृत्यु दर सबसे ज्यादा दुकान खुलते ही पता चला कि ममता सरकार ने हर तरह की शराब पर 30 फीसदी टैक्स बढ़ा दिया। इसके बावजूद लोग बढ़ी कीमतों पर शराब खरीदते नजर आए। लोगों ने बताया कि हम शराब खुद के लिए खरीदते हैं, दूसरों के लिए नहीं। ऐसे में कीमत में बढ़ोतरी का असर खरीदारी पर नहीं पड़ता।
एक युवक ने बताया कि मैं सरकारी खजाने के लिए शराब खरीदने नहीं आया। फिर महंगी मिले या सस्ती इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उक्त युवक ने कहा कि 40 दिनों बाद शराब मिली है। हम तो कब से इसके खुलने का इंतजार कर रहे थे।
हालांकि अधिकांश ग्राहक मूल्यों में बढ़ोतरी से नाखुश थे। उन्होंने इसे ममता सरकार का COVID-19 Tax करार दिया। दूसरी तरफ आबकारी आयुक्त के आदेश में कहा गया है कि एक ग्राहक को दो बोतल से ज्यादा शराब नहीं बेची जाएगी।
दिल्ली में शराब पर लगा स्पेशल कोरोना टैक्स, 70% महंगी हुई शराब बता दें कि बंगाल सरकार के लिए शराब की दुकानें खोलना अनिवार्य था। क्योंकि यह राज्य के उत्पाद शुल्क ( Excise Duty ) का एक प्रमुख स्रोत है। 40 दिनों तक शराब की दुकानों के बंद रहने से लगभग 1000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। पिछले साल राज्य ने उत्पाद शुल्क के रूप में 11,626.99 करोड़ रुपए कमाए। 2020-21 के लिए 12,731 करोड़ रुपए की कमाई का अनुमान लगाया गया है। जानकारी के मुताबिक कोविद—19 टैक्स से ममता सरकार के खजाने में 3000 से 4000 करोड़ रुपए तक का इजाफा होने की संभावना है।