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‘ऑल वेदर रोड’ से गंगा को खतरा, लाखों पेड़ हो रहे हैं बर्बाद: पर्यावरणविद

Published: Sep 03, 2018 01:12:26 pm

Submitted by:

Shivani Singh

पर्यावरणविद का कहना है कि ऑल वेदर रोड की वजह से गंगा का सत्यानास हो रहा है।

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‘ऑल वेदर रोड’ से गंगा को खतरा, लाखों पेड़ हो रहे हैं बर्बाद: पर्यावरणविद

नई दिल्ली। देश की सबसे विशाल व पवित्र माने जाने वाली नदी गंगा की हालत बद से बत्तर होती जा रही है। इसके पीछे का कारण चार धाम यात्रा के लिए बन रहा चार लेन वाला ‘ऑल वेदर रोड’है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद का कहना है कि यह ‘ऑल वेदर रोड’सिर्फ और सिर्फ आपदा को निमंत्रण दे रहा है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद हिमांशु ठक्कर का उनका कहना है कि इसकी जरूरत किसको है, दरअसल ‘ऑल वेदर रोड’ के नाम पर पूरी गांगा घाटी का सत्यानाश हो रहा है।

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हिमांशु ठक्कर ने कहा कि लाखों पेड़ बर्बाद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा के सूखने के पीछे सबसे बड़ा कारण है जलग्रहण क्षमता की कमी, हमारे यहां जब बारिश होती है तो जलग्रहण में उसके पानी को रोकने, उसे जमा करने और उसका पुनर्भरण करने की क्षमता कम हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि इसके साथ ही वनों की कटाई, आद्र भूमि, स्थानीय जल निकायों में कमी की वजह से नदियों का पानी सूख रहा है।

वहीं, दूसरा वजह है कि बांधों और मोड़ों (डाइवर्जन) के कारण पानी पानी बड़े पैमाने पर मुड़ रहा है जिससे गंगा का बहाव कम हो रहा है। तीसरा कारण है भू-जल का जो प्रयोग हो रहा है तो उसके कारण भी गंगा नदी में पानी कम हो रहा है और चौथा कारण जलवायु परिवर्तन है, इसके कारण वाष्पीकरण और पानी का उपयोग दोनों ही बढ़ रहे हैं, जिसके कारण गंगा का पानी सूख रहा है।

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उन्होंने गंगा के सूखने से लोगों के रोजगार पर पड़े प्रभाव के सवाल पर मौसम विभाग के पूर्व डीजी हिमांशु ठक्कर ने कहा कि गंगा करीब पांच देशों और 11 राज्यों में बहती है, जिससे करीब 40 से 50 करोड़ लोगों का भरण पोषण होता है। गंगा पर लोगों की अलग-अलग तरीके से निर्भरता है, जो लोग नदी के साथ साथ उसकी सहायक नदियों में मत्स्य पालन पर निर्भर थे, बड़े पैमाने पर उनकी आजीविका खत्म हो चुकी है क्योंकि मछली पालन व्यापक स्तर पर तबाह हो गया है। क्योंकि बहुत सारी मछलियों की विविधता समाप्त हो चुकी है।

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