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सरकार से नाराज शराबी उतर सकते है चुनाव मैदान में

शराबियों ने आरोप लगाया कि सरकार का उनके प्रति व्यवहार ठीक नहीं है और वे
सरकार को सबक सिखाने के लिए खुद चुनाव मैदान में भी उतर सकते है।

Feb 10, 2016 / 12:40 am

कमल राजपूत

Angry tipplers

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तिरुवनंतपुरम। केरल के शराबी अपने राज्य सरकार से बहुत नाराज है। शराबियों ने आरोप लगाया कि सरकार का उनके प्रति व्यवहार ठीक नहीं है और वे सरकार को सबक सिखाने के लिए खुद चुनाव मैदान में भी उतर सकते है।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इन लोगों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, 2014 में यूनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट (यूडीएफ) की सरकार ने फाइव स्‍टार होटल्‍स को छोड़कर बाकी बार को बंद करने और शराब की रिटेल दुकानों की तादाद घटाने का जो फैसला लिया था। सरकार के इस फैसले से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

केरल शराब उपभोक्‍ता बचाव फॉरम, शराब का सेवन करने वाले लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे कम से कम छह समूहों को एकसाथ जोडऩे पर काम कर रहा है। इस फॉरम का कहना है कि राज्‍य को ऐल्‍कॉहॉल की बिक्री से 10 हजार करोड़ रुपये की कमाई होती है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार शराब उपभोक्‍ताओं के प्रति अपराधियों की तरह बर्ताव करती है।

फॉरम के संयोजक एम दामोदरन ने कहा कि केरल में, राज्‍य के राजस्‍व का करीब 60 फीसदी हिस्‍सा शराब की बिक्री से आता है। सरकार हर बोतल पर कम से कम 250 प्रतिशत टैक्‍स लगा रही है। शराब की जो दुकानें हैं, उनमें से ज्‍यादातर वैसी जगहों पर हैं जहां रोशनी नहीं रहती और शराब खरीदने वालों को अपराधियों की तरह लाइन में खड़ा होना पड़ता है।

सरकार के खिलाफ लड़ाई की दिशा में, फॉरम ने हाल में ही पूरे राज्‍य में जिला स्‍तर की बैठकों का आयोजन किया है। फॉरम का मकसद फिलहाल दो महीने के भीतर एक लाख से ज्‍यादा लोगों को बतौर मेंबर नामित करना है। जब यह काम पूरा हो जाएगा तो फिर आगे की रणनीति तैयार करने के लिए राज्‍य स्‍तर पर सम्‍मेलन का आयोजन किया जाएगा।




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