भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज विकास और कर सुधारों के क्षेत्र में अरुण जेटली ने कई अहम निर्णय लिए। इन फैसलों में गुड्स एंड सर्विस टैक्स ( GST ) सबसे अहम फैसला रहा। आईए डालते हैं भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अरुण जेटली की ओर से उठाए अहम गए फैसलों पर नजर।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की बिगड़ी तबीयत, दिल्ली के अस्पताल में किया गया भर्ती सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म GST
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स को देश में अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म कहा जा सकता है। खास बात यह है जीएसटी को लागू करने में अरुण जेटली की अहम भूमिका रही। सभी राज्यों को इस टैक्स के लिए एकमत करने के पीछे भी जेटली की कड़ी मेहनत थी। जुलाई 2017 में जब GST लागू हुई तो पहले काफी समस्याएं आईं विरोधियों ने भी निशाना साधा, लेकिन धीरे-धीरे इसके फायदे नजर आने लगे। टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया को आसान और बिजनस फ्रेंडली बनाने के साथ-साथ दरों में संशोधन कर आम उपभोक्ता को बड़ा लाभ पहुंचाया।
गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स को देश में अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म कहा जा सकता है। खास बात यह है जीएसटी को लागू करने में अरुण जेटली की अहम भूमिका रही। सभी राज्यों को इस टैक्स के लिए एकमत करने के पीछे भी जेटली की कड़ी मेहनत थी। जुलाई 2017 में जब GST लागू हुई तो पहले काफी समस्याएं आईं विरोधियों ने भी निशाना साधा, लेकिन धीरे-धीरे इसके फायदे नजर आने लगे। टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया को आसान और बिजनस फ्रेंडली बनाने के साथ-साथ दरों में संशोधन कर आम उपभोक्ता को बड़ा लाभ पहुंचाया।
IBC के जरिए बैंकिंग व्यवस्था में सुधार
अरुण जेटली के भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदानों में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) को भी बड़ा कदम माना जा सकता है। बैंकिंग व्यवस्था में ढांचागत सुधार के तहत यह कानून बनाया गया। बैंक से बड़े-बड़े कर्ज लेकर उन्हें गटक जाने वाली कंपनियों और पूंजीपतियों में खौफ के लिए इस तरह के कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी, इसे जेटली ने लाकर बड़ा कदम उठाया।
अरुण जेटली के भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदानों में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) को भी बड़ा कदम माना जा सकता है। बैंकिंग व्यवस्था में ढांचागत सुधार के तहत यह कानून बनाया गया। बैंक से बड़े-बड़े कर्ज लेकर उन्हें गटक जाने वाली कंपनियों और पूंजीपतियों में खौफ के लिए इस तरह के कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी, इसे जेटली ने लाकर बड़ा कदम उठाया।
MPC के गठन से मौद्रिक नीति में पारदर्शिता
अरुण जेटली के अर्थव्यवस्था को लेकर लिए गए अहम फैसलों में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ( MPC ) का गठन भी एक था। इसके जरिए मौद्रिक नीति बनाने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना अहम मकसद रहा। इस कमेटी की अगुवाई आरबीआई गवर्नर करता है और इनका काम ब्याज दरों को तय करना है। 6 सदस्यों वाली इस कमेटी में तीन आरबीआई से और तीन सरकार के सदस्य शामिल हैं।
अरुण जेटली के अर्थव्यवस्था को लेकर लिए गए अहम फैसलों में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ( MPC ) का गठन भी एक था। इसके जरिए मौद्रिक नीति बनाने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना अहम मकसद रहा। इस कमेटी की अगुवाई आरबीआई गवर्नर करता है और इनका काम ब्याज दरों को तय करना है। 6 सदस्यों वाली इस कमेटी में तीन आरबीआई से और तीन सरकार के सदस्य शामिल हैं।
अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि पर पीएम मोदी को आई दोस्त की याद, फिर किया इमोशन पोस्ट हर वर्ष चार बैठकें आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा जेटली ने नॉम परफॉर्मिंग असेट्स यानी NPA की सफाई पर खासा ध्यान दिया। इसके साथ ही बैंकों का एकीकरण और राजकोषीय घाटे और महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए भी अरुण जेटली ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। अरुण जेटली के प्रयासों के चलते ही डिफेंस, इंश्योरेंस और एविएशन जैसे सेक्टर भी FDI के लिए खोले गए।