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‘उपहार’ नहीं था कोहिनूर: अंग्रेजों ने 9 साल के महाराजा दिलीप सिंह से लिया था ‘जबरन’

आरटीआई में बड़ा खुलासा, अंग्रेज—सिख युद्ध के खर्चे की भरपाई के लिए अंग्रेजों ने लाहौर के शासक दिलीप सिंह से लिया था अनमोल हीरा

नई दिल्लीOct 16, 2018 / 11:27 am

Pradeep kumar

kohinoor

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नई दिल्ली। कोहिनूर हीरा भले सालों पहले अंग्रेजों के कब्जे में चला गया हो लेकिन उससे भारतीयों की भावनाएं आज भी जुड़ी हैं। यही कारण है कि कोहिनूर भारत वापस लाने की मांग उठती रहती है। कोहिनूर अंग्रेजों के कब्जे में जाने की अलग—अलग कहानियां सुनते आए हैं। कभी कहा गया कि कोहिनूर अंग्रेजों ने भारत से छीन लिया था, कभी कहा गया चोरी हो गया था। इस बीच भारतीय पुरात्त्व सर्वेक्षण विभाग ने आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन के जवाब में इस बारे में नया खुलासा किया है।
भारतीय पुरात्त्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के मुताबिक उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार लॉर्ड डलहौजी और महाराजा दिलीप सिंह के बीच 1849 में लाहौर संधि हुई थी। लाहौर के महाराजा ने इंग्लैंड की महारानी को कोहिनूर समर्पित किया था। आरटीआई के उत्तर में संधि के हवाले से लिखा गया है कि शाह-सुजा-उल-मुल्क से महाराजा रणजीत सिंह द्वारा लिया गया कोहिनूर लाहौर के महाराजा इंग्लैंड की महारानी को सौंपेंगे। इससे साफ है कि कोहिनूर दिलीप सिंह की सहमति से नहीं सौंपा गया था। संधि के समय दिलीप सिंह की उम्र केवल 9 साल थी ऐसे में सहमति का प्रश्न नहीं। इसलिए इतिहासकार कहते रहे हैं कि कोहिनूर को अंग्रेजों ने महाराज दिलीप सिंह से जबरन लिया था।
युद्ध के ‘मुआवजे’ के तौर पर दिया था

इससे पहले 2016 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कोहिनूर हीरे को न जबरन लिया गया और न अंग्रेजों ने उसे चुराया। कोर्ट को दी गई जानकारी के मुताबिक सरकार ने कहा था कि पंजाब के शासक रहे महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारियों ने कोहिनूर अंग्रेजों को सौंपा था। दो साल बाद एएसआई ने इससे इतर जवाब दिया है। एएसआई के मुताबिक लाहौर के महाराजा ने कोहिनूर हीरा इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को समर्पित किया था। अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह के उत्तराधिकारी से मुआवजे के तौर पर कोहिनूर हीरा लिया। यह एंग्लो-सिख युद्ध के खर्चे की पूर्ति के बदले था। ब्रिटिश शाही क्राउन में जड़े इस हीरे की कीमत करीब 11 अरब डॉलर है।
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पीएमओ को भेजा गया था आवेदन

दरअसल, आरटीआई कार्यकर्ता रोहित सभरवाल ने आरटीआई से सूचना मांगी थी कि कोहिनूर को किस आधार पर ब्रिटेन को सौंपा गया था। सभरवाल ने कहा, मुझे यह नहीं पता कि इस बारे में जानकारी पाने के लिए आरटीआई कहां दायर की जाए, इसलिए उन्होंने आवेदन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमएओ) को भेज दिया। पीएमएओ से आवेदन एएसआई को भेजा गया। सभरवाल ने आरटीआई में पूछा था कि क्या हीरा भारत ने ब्रिटेन को तोहफे में दिया था या इसे किसी अन्य वजह हस्तांतरित किया गया था।

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